परीक्षा देने पहुंची मां-बेटे को जन्म देने के 2 घंटे बाद


राजस्थान: एक गर्भवती महिला के इस जज्बे को कौन नहीं सलाम करना चाहेगा। इस भावना के द्वारा उठाए गए कदमों से प्रत्येक छात्र को सीखना चाहिए। आप परीक्षा देने जाते हैं तो उस समय बहुत चिंतित रहते हैं, लेकिन इस खबर को पढ़ने के बाद आप प्रेरित और साहस दोनों मिल सकते हैं।
मामला राजस्थान के झुंझुनू जिले का है 

जहां एक गर्भवती महिला ने पढ़ाई का एक साल बर्बाद न हो, इसके लिए वह किया जो आप सोच भी नहीं सकते। दरअसल  मामला कुछ ऐसा है कि झुंझुनू जिले की भड़ोदा कलां की रहने वाली सरोज गर्भवती थी। 

सोमवार की सुबह अचानक उसे दर्द उठा तो वह अपनी किताबों को साथ लेकर झुंझुनू के निजी अस्पताल पहुंच गई. सरोज अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने कुछ मिनट बाद ही सामान्य डिलिवरी करवा दी। डिलिवरी के बाद सरोज ने डॉक्टर को बताया कि इसका परीक्षा है। डिलिवरी के महज दो घंटे बाद ही डॉक्टर की अनुमति से सरोज शहर के सरकारी मोरारका कॉलेज पहुँची. 

जब सरोज कॉलेज पहुंची तो इस पूरे मामले की जानकारी कॉलेज स्टाफ को मिली। स्टाफ प्रबंधन ने इसके लिए विशेष प्रबंध किए और सोफे पर लिटा कर उसे परीक्षा दिलवाया। इसके बाद वह वापस आकर अस्पताल में भर्ती हो गई. 

सरोज ने बताया कि वह अपना एक साल बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी। साथ ही बताया कि उसे परीक्षा देने में कोई परेशानी नहीं हुई और पेपर अच्छे से हल हो गया। सरोज एमएससी प्रथम एयर रसायन शास्त्र का पेपर दे रही है।

 डॉक्टरों ने भी सरोज के जज्बे को सलाम किया है। महिलाओं द्वारा उठाए गए इस तरह के उपायों की वजह से ही राजस्थान का यह जिला महिला साक्षरता में सबसे आगे है।


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राजस्थान: एक गर्भवती महिला के इस जज्बे को कौन नहीं सलाम करना चाहेगा। इस भावना के द्वारा उठाए गए कदमों से प्रत्येक छात्र को सीखना चाहिए। आप परीक्षा देने जाते हैं तो उस समय बहुत चिंतित रहते हैं, लेकिन इस खबर को पढ़ने के बाद आप प्रेरित और साहस दोनों मिल सकते हैं।
मामला राजस्थान के झुंझुनू जिले का है 

जहां एक गर्भवती महिला ने पढ़ाई का एक साल बर्बाद न हो, इसके लिए वह किया जो आप सोच भी नहीं सकते। दरअसल  मामला कुछ ऐसा है कि झुंझुनू जिले की भड़ोदा कलां की रहने वाली सरोज गर्भवती थी। 

सोमवार की सुबह अचानक उसे दर्द उठा तो वह अपनी किताबों को साथ लेकर झुंझुनू के निजी अस्पताल पहुंच गई. सरोज अस्पताल पहुंचते ही डाक्टरों ने कुछ मिनट बाद ही सामान्य डिलिवरी करवा दी। डिलिवरी के बाद सरोज ने डॉक्टर को बताया कि इसका परीक्षा है। डिलिवरी के महज दो घंटे बाद ही डॉक्टर की अनुमति से सरोज शहर के सरकारी मोरारका कॉलेज पहुँची. 

जब सरोज कॉलेज पहुंची तो इस पूरे मामले की जानकारी कॉलेज स्टाफ को मिली। स्टाफ प्रबंधन ने इसके लिए विशेष प्रबंध किए और सोफे पर लिटा कर उसे परीक्षा दिलवाया। इसके बाद वह वापस आकर अस्पताल में भर्ती हो गई. 

सरोज ने बताया कि वह अपना एक साल बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी। साथ ही बताया कि उसे परीक्षा देने में कोई परेशानी नहीं हुई और पेपर अच्छे से हल हो गया। सरोज एमएससी प्रथम एयर रसायन शास्त्र का पेपर दे रही है।

 डॉक्टरों ने भी सरोज के जज्बे को सलाम किया है। महिलाओं द्वारा उठाए गए इस तरह के उपायों की वजह से ही राजस्थान का यह जिला महिला साक्षरता में सबसे आगे है।



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