एक स्टडी में पता चला है जो बच्चे हफ्ते में 32 घंटे से ज्यादा स्क्रीन देखते हुए बिताते हैं वे अपने परिवार की पारंपरिक जीवन शैली से दूर हो रहे हैं। ऑनलाइन रहना, टीवी देखना और लैपटॉप पर घंटो फिल्में देखने से बच्चों को काफी नुकसान हो रहा है।
एक स्टडी में पता चला है जिस दिन बच्चे स्कूल जाते हैं उस दिन 4 घंटे कम-से-कम वे पूरे दिन में स्क्रीन को देखते हैं। और स्कूल की छुट्टी वाले दिन बच्चे कम-से-कम 6 घंटे स्क्रीन के सामने नजरें गड़ाए रहते हैं।
इस स्टडी में यह भी पता चला है कि परिवार को बच्चों के टेक्नोलॉजी के 32 घंटे इस्तेमाल करने पर कोई आपत्ति नहीं हो रही है। तीन-चौथाई छात्र तो शोध में ऐसे हैं जो स्कूल जाने से पहले 1 घंटे के करीब किसी गैजेट का प्रयोग करते हैं।
बच्चों में स्क्रीन पर वक्त बिताने की आदत अक्सर मां-बाप से ही आती है, और बच्चे उन्हीं नक्ल करते हैं। पैदा होने के बाद से बच्चे माता पिता को ऑब्जर्व करने लगते हैं। बच्चों द्वारा स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल घातक साबित हो रहा है मेंटल हेल्थ अधिकारियों का कहना है स्मार्टफोन बच्चों पर आक्रमण कर रहे हैं और इससे उनके स्वास्थ्य पर दूरगामी असर पड़ेगा।
यूके वेबसाइट ने यूके के हजारों पर की है। इस वेबसाइट के फाउंडर और चीफ एग्जीक्यूटिव गेमा जॉनसन ने कहा,’जब मैं अपने आसपास देखता हूं तो मुझे लगता है कि हमारे बच्चे अपना बचपन खो रहे हैं। एक घंटे बच्चे अगर स्कीन के सामने रहेंगे तो इससे उनके दिमाग और शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है।
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