
न पिता को बेटे के आदर्श का पता है न बेटे को पिता के फैसले की कद्र है। बेचारे चाचा शिवपाल मुलायम सिंह को भगवान मानते है, भगवान और उनके भक्त की कोई कद्र नहीं। अफजाल ने कहा कि हमारे भाई मुख्तार की छवि खराब करने की कोशिश की गई। हमारे पूर्वजों ने स्वाधीनता की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभाई है।
आगे अफजाल ने कहा, जब समाजवादी पार्टी के आठ से दस विधायक क्रॉस वोटिंग पर आमादा हो गए तो इसकी चिंता में इनकी मजबूरी हुई कि कौमी एकता दल का वोट हासिल किया जाए। इसके लिए पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी से बात करवाई गई और यूपी के वरिष्ठ मंत्री बलराम यादव को मेरे घर भेजा गया। उन्होंने प्रस्ताव रखा और शिवपाल सिंह से बात करवाई।
नेताजी ने कहा था, बिछड़ गए थे चलो फिर से एक हो जाएं। राज्यसभा चुनाव में हमारा इस्तेमाल कर हमसे किनारा कर लिया गया। हमें धोखा दिया गया। ये बातें कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजाल अंसारी ने कहीं।
अफजाल ने अपने विचारों में बताया कि मैंने उनसे एक हफ्ते का समय मांगा था। इसके बाद शिवपाल यादव ने 21 तारीख को कौमी एकता दल और सपा के विलय की घोषणा कर दी। इसके बाद खबर आई कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस विलय को गलत मानते हैं। बलराम यादव को सजा के तौर पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया। फिर 25 जून को मीटिंग के बाद अखिलेश की जिद के आगे मुलायम सिंह को झुकना पड़ा।
बलराम यादव की सपा सरकार से छुट्टी पर शिवपाल ने कहा था कि आखिर उनका इस्तीफा क्यों लिया गया इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उनका बस इतना ही कहना था कि ये मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार है कि वह सरकार में किसे रखते हैं और किसे नहीं।
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