राजस्थान की महिला पुलिस अधिकारी ने कहा केंद्र ने चुराया है मेरा आइडिया


महिला अधिकारी के अनुसार मोदी सरकार का चर्चित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारा उन्हीं के दिमाग की उपज है, राजस्‍थान की इस महिला पुलिस अधिकारी ने मोदी सरकार पर उसका आइडिया चुराने का आरोप लगाया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक उदयपुर के एक महिला पुलिस थाने की एसएचओ चेतना भाटी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर उसकी रचनात्मकता को मान्यता देने की मांग की है।
इतिहास और अंग्रेजी में पीजी डिग्री रखने वाली चेतना भाटी 20 साल पहले पुलिस में आने से पूर्व एक शिक्षिका थीं। चेतना ने इस संबंध में पीएमओ को एक आरटीआई भेजकर जानकारी मांगी थी कि उन्होंने यह वाक्यांश कहां से लिया है, लेकिन उन्हें वहां से संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं मिल सका।
उनका कहना है कि उन्होंने 1999 में पहली बार यह वाक्य लिखा था और एक कविता की श्रंखला के लिए इसका इस्तेमाल किया था। साल 2005 में मैने एक आयोजन में फिर इसका इस्तेमाल किया।
आगे सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि मैं इसके बदले में धन या प्रचार नहीं चाहती। मैं सिर्फ यह चाहती हूं कि मेरे इस आइडिया के बारे में मेरा महत्व स्वीकार किया जाए।
भाटी ने इस संबंध में एक आरटीआई पीएमओ में दायर की थी जहां से उसे महिला और बाल विकास विभाग भेज दिया गया। यहां से इसे स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग भेजा गया लेकिन सही जवाब कोई नहीं दे पाया।

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महिला अधिकारी के अनुसार मोदी सरकार का चर्चित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारा उन्हीं के दिमाग की उपज है, राजस्‍थान की इस महिला पुलिस अधिकारी ने मोदी सरकार पर उसका आइडिया चुराने का आरोप लगाया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक उदयपुर के एक महिला पुलिस थाने की एसएचओ चेतना भाटी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर उसकी रचनात्मकता को मान्यता देने की मांग की है।
इतिहास और अंग्रेजी में पीजी डिग्री रखने वाली चेतना भाटी 20 साल पहले पुलिस में आने से पूर्व एक शिक्षिका थीं। चेतना ने इस संबंध में पीएमओ को एक आरटीआई भेजकर जानकारी मांगी थी कि उन्होंने यह वाक्यांश कहां से लिया है, लेकिन उन्हें वहां से संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं मिल सका।
उनका कहना है कि उन्होंने 1999 में पहली बार यह वाक्य लिखा था और एक कविता की श्रंखला के लिए इसका इस्तेमाल किया था। साल 2005 में मैने एक आयोजन में फिर इसका इस्तेमाल किया।
आगे सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि मैं इसके बदले में धन या प्रचार नहीं चाहती। मैं सिर्फ यह चाहती हूं कि मेरे इस आइडिया के बारे में मेरा महत्व स्वीकार किया जाए।
भाटी ने इस संबंध में एक आरटीआई पीएमओ में दायर की थी जहां से उसे महिला और बाल विकास विभाग भेज दिया गया। यहां से इसे स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग भेजा गया लेकिन सही जवाब कोई नहीं दे पाया।


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