रमजान की 27वीं शबे कदर की रात हज़ार महीनो से बेहतर है मुफ़्ती उसामा इदरीस नदवी


क़ुरआन की सूरह ऐ बकरा की आयात नंबर 185 में अल्लाह तआला कहता है कि रमजान का महीना वो महीना है जिसमे क़ुरआन को उतारा गया है दूसरी सूरत सूरह एे क़दर में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है हमने क़ुरआन को शबे क़दर में उतारा है.
जी हाँ दोनों आयतों से ये मालूम होता है कि क़ुरआन को रमजान की रातो में से किसी एक रात को ही उतारा गया है रमजान की वो रात शबे क़दर की रातो में से एक है.
हदीस नसाई शरीफ की हदीस नंबर 2108 में रिवायत किया गया है कि एक मुबारक महीना रमजान तुम्हारे पास आ चुका है. जो हज़ार महीनो से बेहतर है जो इस रात की खैर औ बरकत से महरूम रहा तो वो महरूम रहा.
शबे क़दर की रात में हर मुस्लमान को ये दुआ मांगनी चाहिए अल्लाहुम्मा इन्नका अफ्फुवुन तुहिब्बुल अफुवा फाफू अन्नी" इस दुआ का मतलब है कि ऐ अल्लाह! बेशक तू मांफ करने वाला है, माफ़ी को तू पसंद करता है, मुझे मांफ फरमा, मैरे गुनाहों को भी मांफ फरमा, इस रात का एक एक लम्हा बड़ा ही कीमती है जिसमे ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करनी चाहिए।
-इस रात में हर शख्स को अपने गुनाहों की मांफी मांगनी चाहिए। 
-इस रात में खूब रो रो कर दुआ मांगनी चाहिए। 
-अपने लिए जन्नत मांगनी चाहिए। 
-जितना हो सके उतनी इबादत करनी चाहिए। 
-इन रातो में अल्लाह का ज़िक्र करना चाहिए।
-नफिल नमाज़ पढ़े. क़ुरान की तिलावत करें।

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क़ुरआन की सूरह ऐ बकरा की आयात नंबर 185 में अल्लाह तआला कहता है कि रमजान का महीना वो महीना है जिसमे क़ुरआन को उतारा गया है दूसरी सूरत सूरह एे क़दर में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है हमने क़ुरआन को शबे क़दर में उतारा है.
जी हाँ दोनों आयतों से ये मालूम होता है कि क़ुरआन को रमजान की रातो में से किसी एक रात को ही उतारा गया है रमजान की वो रात शबे क़दर की रातो में से एक है.
हदीस नसाई शरीफ की हदीस नंबर 2108 में रिवायत किया गया है कि एक मुबारक महीना रमजान तुम्हारे पास आ चुका है. जो हज़ार महीनो से बेहतर है जो इस रात की खैर औ बरकत से महरूम रहा तो वो महरूम रहा.
शबे क़दर की रात में हर मुस्लमान को ये दुआ मांगनी चाहिए अल्लाहुम्मा इन्नका अफ्फुवुन तुहिब्बुल अफुवा फाफू अन्नी" इस दुआ का मतलब है कि ऐ अल्लाह! बेशक तू मांफ करने वाला है, माफ़ी को तू पसंद करता है, मुझे मांफ फरमा, मैरे गुनाहों को भी मांफ फरमा, इस रात का एक एक लम्हा बड़ा ही कीमती है जिसमे ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करनी चाहिए।
-इस रात में हर शख्स को अपने गुनाहों की मांफी मांगनी चाहिए। 
-इस रात में खूब रो रो कर दुआ मांगनी चाहिए। 
-अपने लिए जन्नत मांगनी चाहिए। 
-जितना हो सके उतनी इबादत करनी चाहिए। 
-इन रातो में अल्लाह का ज़िक्र करना चाहिए।
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