हिंसा के बीच कश्मीर में घायल तीर्थयात्रियों को बचाने आए स्थानीय मुस्लिम, पेश की मानवता की मिसाल


कहते है कि कोई कुछ भी कर ले लेकिन अगर किसी के अंदर इंसानियत है तो वो उसको ख़त्म नहीं कर सकता। ऐसी ही मिसाल कश्मीर के मुस्लिम लोगो ने पेश की. जी हाँ आपको बतादे की आज कल कश्मीर में हिंसा चल रही है. लेकिन इसी हिंसा के बीच बुधवार को मानवता और सौहार्द की मिसाल भी देखने को मिली।
यहां एक सड़क हादसे में घायल अमरनाथ तीर्थयात्रियों को बचाने के लिए स्थानीय मुस्लिमों ने बुधवार को अपनी जान जोखिम में डाल कर कर्फ्यू को धता बताते हुए उन्हें अस्पताल पहुंचाया। इस हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोग कर्फ्यू के बावजूद घटनास्थल पर पहुंचे और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। ये लोग पिछले हफ्ते हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर वानी की मौत के बाद भड़की हिंसा में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र समेत दो युवकों की मौत पर शोक मना रहे थे।
एक चश्मदीद ने कहा, 'स्थानीय मुसलमान अपने निजी वाहनों से घायलों को अस्पताल ले गए। कुछ लोगों ने तो घायलों को श्रीनगर स्थित अस्पताल भी ले गए। जिसमें उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले प्रमोद कुमार की और गंदेरबल के कंगन के रहने वाले बस चालक बिलाल अहमद मीर की मौत हो गई। दुर्घटना में 23 यात्री घायल हो गए। हादसा उस समय हुआ जब बस गंदेरबल जिले में बालटाल आधार शिविर से जम्मू जा रही थी।
उन्होंने साथ ही बताया कि 25 यात्री और एक टट्टू वाले समेत 27 लोग भी घायल हुए हैं। इनमें से अधिकतर लोग प्राकृतिक रूप से निर्मित बर्फ के शिवलिंग के दर्शन करने के लिए 3880 मीटर उंचाई पर स्थित गुफा जाने के कठिन रास्ते में चलते हुए गिरने से चोटिल हुए हैं।

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कहते है कि कोई कुछ भी कर ले लेकिन अगर किसी के अंदर इंसानियत है तो वो उसको ख़त्म नहीं कर सकता। ऐसी ही मिसाल कश्मीर के मुस्लिम लोगो ने पेश की. जी हाँ आपको बतादे की आज कल कश्मीर में हिंसा चल रही है. लेकिन इसी हिंसा के बीच बुधवार को मानवता और सौहार्द की मिसाल भी देखने को मिली।
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