मस्जिद में सीमेंट का कट्टा देने से पहले यह देख लेना कि पडोसी के घर आटा है या नहीं


मैंने पूछा : बाबा, एक लाइन में बताओ आखिर क्या सिखाता है इस्लाम, वो बोला : बेटा : मस्जिद में सीमेंट का कट्टा देने से पहले यह देख लेना कि पडोसी के घर आटे का कट्टा है या नहीं, यदि नहीं तो मस्जिद में न देकर पड़ोस में देदो, यह सिखाता है इस्लाम.
इस्लाम में जान का सम्मान इतना अधिक है कि किसी व्यक्ति की गलत हत्या को सबसे बड़ा अपराध करार दिया गया है कुरान की सूरा अलमायदा में इरशाद हुआ है कि:
“जो व्यक्ति किसी की हत्या करे बिना इसके कि उसने किसी की हत्या की हो अथवा पृथ्वी पर उपद्रव किया हो तो जैसे कि उसने सारी मानवता की हत्या कर ड़ाली और जिसने एक जान को बचाया, तो उसने सारी मानवता को बचा लिया। ”
कुरान की इस आयत से मालूम होता है कि इस्लाम एक ऐसा समाज बनाना चाहता है जिसमें हर इंसान दूसरे इंसान के लिए अंतिम सीमा तक हानिरहित (harmless) बना हुआ हो, जिसमें हर इंसान दूसरे इंसान के खून को उतना ही प्रिय समझे, जितना कि वह खुद अपने खून को प्रिय समझता है।
इस्लाम ऐसा समाज बनाना चाहता है जिसमें हर इंसान दूसरे इंसान को उसी तरह जीवित रहने का अधिकार दे जिस तरह वह खुद अपने लिए जीवित रहने का अधिकार समझता है। इस्लाम के अनुसार सच्चा मानव समाज वह है जिसमें हर औरत और पुरुष को समान रूप से जीने का अधिकार हासिल हो ।


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मैंने पूछा : बाबा, एक लाइन में बताओ आखिर क्या सिखाता है इस्लाम, वो बोला : बेटा : मस्जिद में सीमेंट का कट्टा देने से पहले यह देख लेना कि पडोसी के घर आटे का कट्टा है या नहीं, यदि नहीं तो मस्जिद में न देकर पड़ोस में देदो, यह सिखाता है इस्लाम.
इस्लाम में जान का सम्मान इतना अधिक है कि किसी व्यक्ति की गलत हत्या को सबसे बड़ा अपराध करार दिया गया है कुरान की सूरा अलमायदा में इरशाद हुआ है कि:
“जो व्यक्ति किसी की हत्या करे बिना इसके कि उसने किसी की हत्या की हो अथवा पृथ्वी पर उपद्रव किया हो तो जैसे कि उसने सारी मानवता की हत्या कर ड़ाली और जिसने एक जान को बचाया, तो उसने सारी मानवता को बचा लिया। ”
कुरान की इस आयत से मालूम होता है कि इस्लाम एक ऐसा समाज बनाना चाहता है जिसमें हर इंसान दूसरे इंसान के लिए अंतिम सीमा तक हानिरहित (harmless) बना हुआ हो, जिसमें हर इंसान दूसरे इंसान के खून को उतना ही प्रिय समझे, जितना कि वह खुद अपने खून को प्रिय समझता है।
इस्लाम ऐसा समाज बनाना चाहता है जिसमें हर इंसान दूसरे इंसान को उसी तरह जीवित रहने का अधिकार दे जिस तरह वह खुद अपने लिए जीवित रहने का अधिकार समझता है। इस्लाम के अनुसार सच्चा मानव समाज वह है जिसमें हर औरत और पुरुष को समान रूप से जीने का अधिकार हासिल हो ।



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