कश्मीर हिंसा के बीच कर्फ्यू की परवाह किये बगैर मुस्लिम महिला ने पंडित फैमिली तक पहुंचाया राशन


कश्मीर में जारी हिंसा के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो जान की परवाह न करते हुए दूसरों की मदद कर रहे हैं. जुबैदा बेगम ने कर्फ्यू और खराब हालात के बीच अपने पति के साथ कश्मीरी पंडित दोस्त के घर खाना पहुंचाया. कश्मीर घाटी के हालात खराब होने के बाद हिंसा में अब तक 32 मौतें हो चुकी हैं. कर्फ्यू की वजह से बाजार बंद हैं.
लोगों को रोजाना का जरूरी सामान मिलने में दिक्कत हो रही है. श्रीनगर में जुबैदा बेगम से एक कश्मीरी पंडित फैमिली ने फोन लगाकर मदद की गुहार लगाई. यह फैमिली दीवानचंद की है, जो यहां के जवाहर नगर इलाके में रहती है.उनके घर में बुजुर्ग मां बीमार है. कर्फ्यू की वजह से इनके घर का राशन खत्म हो गया था. दीवानचंद की पत्नी ने जुबैदा से खाने का सामान पहुंचाने के लिए कहा.
इसके बाद जुबैदा अपने पति के साथ कर्फ्यू की परवाह न करते हुए मदद के लिए निकल पड़ी. दीवानचंद यहां ऑल इंडिया रेडियो में काम करते हैं. उनकी पत्नी श्रीनगर के एक स्कूल में टीचर है और जुबैदा भी वहीं काम करती हैं. जुबैदा ने बताया- "उसने (दीवानचंद की पत्नी) मुझे सुबह फोन किया और कहा कि उनकी फैमिली को खाना की जरूरत है. उनके साथ उनकी बीमार दादी भी है." "बस फिर हमने उन्हें मदद पहुंचाने की ठानी.
यह काम आसान नहीं था, लेकिन फिर भी हमने कोशिश की." जुबैदा को अपने पति के साथ पैदल काफी लंबा चलना पड़ा. यह काम काफी जोखिम भरा था. लेकिन दोनों ने उस फैमिली को राशन पहुंचाया. दीवानचंद ने जुबैदा का शुक्रिया अदा करते हुए बताया- " यहां सब लोग पीड़ित हैं. ऐसे मैं इनका यहां आना इंसानियत है. मैं इनका शुक्रगुजार हूं."
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कश्मीर में जारी हिंसा के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो जान की परवाह न करते हुए दूसरों की मदद कर रहे हैं. जुबैदा बेगम ने कर्फ्यू और खराब हालात के बीच अपने पति के साथ कश्मीरी पंडित दोस्त के घर खाना पहुंचाया. कश्मीर घाटी के हालात खराब होने के बाद हिंसा में अब तक 32 मौतें हो चुकी हैं. कर्फ्यू की वजह से बाजार बंद हैं.
लोगों को रोजाना का जरूरी सामान मिलने में दिक्कत हो रही है. श्रीनगर में जुबैदा बेगम से एक कश्मीरी पंडित फैमिली ने फोन लगाकर मदद की गुहार लगाई. यह फैमिली दीवानचंद की है, जो यहां के जवाहर नगर इलाके में रहती है.उनके घर में बुजुर्ग मां बीमार है. कर्फ्यू की वजह से इनके घर का राशन खत्म हो गया था. दीवानचंद की पत्नी ने जुबैदा से खाने का सामान पहुंचाने के लिए कहा.
इसके बाद जुबैदा अपने पति के साथ कर्फ्यू की परवाह न करते हुए मदद के लिए निकल पड़ी. दीवानचंद यहां ऑल इंडिया रेडियो में काम करते हैं. उनकी पत्नी श्रीनगर के एक स्कूल में टीचर है और जुबैदा भी वहीं काम करती हैं. जुबैदा ने बताया- "उसने (दीवानचंद की पत्नी) मुझे सुबह फोन किया और कहा कि उनकी फैमिली को खाना की जरूरत है. उनके साथ उनकी बीमार दादी भी है." "बस फिर हमने उन्हें मदद पहुंचाने की ठानी.
यह काम आसान नहीं था, लेकिन फिर भी हमने कोशिश की." जुबैदा को अपने पति के साथ पैदल काफी लंबा चलना पड़ा. यह काम काफी जोखिम भरा था. लेकिन दोनों ने उस फैमिली को राशन पहुंचाया. दीवानचंद ने जुबैदा का शुक्रिया अदा करते हुए बताया- " यहां सब लोग पीड़ित हैं. ऐसे मैं इनका यहां आना इंसानियत है. मैं इनका शुक्रगुजार हूं."
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