अगर जिहाद और कश्मीर की आजादी के लिए जरूरी बंदूक उठाना-तो फिर वे क्यों अपने बच्चों को बंदूक नहीं थमाते...


कश्मीर की आजाद की दुहाई देने वाले अलगाववादियों के बच्चे मलेशिया, कनाडा और अमेरिका में हैं। कइयों के बच्चे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में रहकर या तो पढ़ाई कर रहे या फिर नौकरी।
अलगाववादी दूसरों के बच्चों को बंदूक उठाकर मरने के लिए ही क्यों उकसाते हैं। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में हुई हिंसा में 12 लोगों की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापकों में से एक हाशिम कुरैशी के बेटे जुनैद ने अलगाववादियों पर जमकर‌ निशाना साधा है।
जुनैद नीदरलैंड में रहते हैं और एक सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। जुनैद ने कहा कि कश्मीरी नौजवान अलगाववादियों से ये सवाल पूछें कि अगर जिहाद और कश्मीर की आजादी के लिए बंदूक उठाना जरूरी है तो फिर वे क्यों अपने बच्चों को बंदूक नहीं थमाते।
कश्मीरी नौजवानों में गुस्सा है और उनके अंदर बगावत और विद्रोह की भावना को मैं सही या गलत नहीं ठहराता। उन्हें भी बुरहान की मौत का दुख है और उसके बाद भड़की हिंसा में 12 लोगों को मारा जाना भी दुखदायी है। यह सही है कि कश्मीर में विमुखता है,
अगर घाटी में हो रही चीजों को लेकर लोगों में गुस्सा था तो वह इसके दूसरे तरीके से पेश कर सकता था, लेकिन हिंसा का रास्ता चुनने के बाद आखिर उसने अपनी नियति को गले लगाया।

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कश्मीर की आजाद की दुहाई देने वाले अलगाववादियों के बच्चे मलेशिया, कनाडा और अमेरिका में हैं। कइयों के बच्चे दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में रहकर या तो पढ़ाई कर रहे या फिर नौकरी।
अलगाववादी दूसरों के बच्चों को बंदूक उठाकर मरने के लिए ही क्यों उकसाते हैं। हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में हुई हिंसा में 12 लोगों की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापकों में से एक हाशिम कुरैशी के बेटे जुनैद ने अलगाववादियों पर जमकर‌ निशाना साधा है।
जुनैद नीदरलैंड में रहते हैं और एक सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। जुनैद ने कहा कि कश्मीरी नौजवान अलगाववादियों से ये सवाल पूछें कि अगर जिहाद और कश्मीर की आजादी के लिए बंदूक उठाना जरूरी है तो फिर वे क्यों अपने बच्चों को बंदूक नहीं थमाते।
कश्मीरी नौजवानों में गुस्सा है और उनके अंदर बगावत और विद्रोह की भावना को मैं सही या गलत नहीं ठहराता। उन्हें भी बुरहान की मौत का दुख है और उसके बाद भड़की हिंसा में 12 लोगों को मारा जाना भी दुखदायी है। यह सही है कि कश्मीर में विमुखता है,
अगर घाटी में हो रही चीजों को लेकर लोगों में गुस्सा था तो वह इसके दूसरे तरीके से पेश कर सकता था, लेकिन हिंसा का रास्ता चुनने के बाद आखिर उसने अपनी नियति को गले लगाया।


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