
चेरमन जुमा मस्जिद कोडुन्गल्लुर के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मस्जिद का निर्माण मलिक बिन दीनार ने ईसा पश्चात 629 में करवाया था और इसे भारत की प्राचीन मस्जिदों में से एक माना जाता है। यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है।
इतिहास के मुताबिक ईसा पश्चात 1341 में एक बाढ़ ने इस मस्जिद को नष्ट कर दिया। जो चेरमन जुमा मस्जिद आज हम देखते हैं वह पुन:निर्मित की हुई है।
मस्जिद की वास्तुकला उल्लेखनीय है क्योंकि इसकी शैली और डिज़ाइन हिंदू मंदिर की तरह है। इस मस्जिद के केंद्र में तेल का एक जलता हुआ दिया रखा गया है। सभी धर्मों और विश्वासों के लोग पवित्र उत्सवों पर इस दिए के लिए तेल लाते हैं।
मस्जिद के अंदर तेल से जलने वाले पीतल के दिए रखे गए हैं जो इस मस्जिद की वास्तुकला को सुंदरता प्रदान करते हैं। यहाँ शीशम का एक मंच है जिस पर शानदार नक्काशी की गई है। मस्जिद के अंदर सफ़ेद संगमरमर का एक टुकड़ा रखा गया है जो माना जाता है कि मक्का से लाया गया है।
चेरमन जुमा मस्जिद भारत में इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और वे पर्यटक जो कोडुन्गल्लुर की सैर के लिए जाते हैं उन्हें यहाँ अवश्य जाना चाहिए।
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