कहते है कि जब किसी के इंसानियत जन्म लेती है तो वो छोटा या बड़ा नहीं देखता ऐसा ही मामला आज मुरादाबाद के कांठ रोड के नया गांव में देखने को मिला जहाँ पर इलाके के जिलाधिकारी ने एक गरीब रिक्शा चालक के यहाँ जाकर रोज़ा इफ्तार की और उसकी मदद की.
मुरादाबाद के डीएम ज़ुहर बिन सग़ीर ने अपनी पत्नी के साथ एक गरीब मुस्लिम रिक्शा चालक के घर जाकर रोज़ा इफ्तार किया, आम आदमी की तरह डीएम साहब ने आज अचानक एक मोहल्ले में जाकर अनजान व्यक्ति की तरह रिक्शा चालक के घर जाकर किया रोज़ा इफ्तार।
मुरादाबाद के नया गांव में रिक्शा चालक निज़ाम उद्दीन के दरवाज़े पर इफ़्तार की ( मग़रिब ) अज़ान से ठीक पहले एक महिला पुरुष आ खड़े हुए, और अंदर आने की इजाज़त मांगी, इससे पहले निज़ाम उद्दीन कुछ समझ पाते उसके बाद तभी पीछे से दो लोग आये और साथ लाये बड़े बड़े डब्बे निज़ाम उद्दीन के घर के अंदर लाकर रख दिये,
निज़ाम को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह पूरा मामला क्या है तभी मोहल्ले में रहने वाले सलीम जो रोज़ सुबहा समाचार पत्र बांटने का कार्य करतें हैं उन्होंने ज़ोर से कहा अरे ये तो DM साहब हैं, बस फ़िर क्या था पहले तो आस पास के लोगो को समझ ही नहीं आया कि आख़िर मामला क्या है। उसके बाद जब उन्हें सच पता चला तो, उन्हें ऐसा लगा कि ये तो ठीक वैसे ही शॉट है जैसे शाहरुख ख़ान की एक फ़िल्म आई थी
डीएम और उनकी पत्नी ने एक साथ निज़ामुद्दीन की पत्नी और बच्चों के साथ एक ही चटाई पर बैठ कर इफ़्तार लगा कर अज़ान का इंतज़ार किया और फिर ठीक जैसे ही 07:20 पर मस्जिद से अज़ान के ज़रिये अल्लाह का हुकुम हुआ कि रोज़ा इफ़्तार लो तो सभी ने एक साथ बैठ कर पहले खजूर से रोज़ा इफ़्तार, उसके बाद निजामुद्दीन के घर के अंदर से लाया गया बर्फ़ द्वारा ठंडा किया गया पानी पिया
चलते वक़्त ज़िलाधिकारी की पत्नी ने निजामुद्दीन की पत्नी और बच्चों से खेरियत ली और साथ ही उनकी कुछ आर्थिक मदद कर उन्हें खाने पिने का सामान और ईद के लियें नये नये कपड़े भी दिये।
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