दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों आइजक न्यूटन, अल्बर्ट आइंस्टीन और आर्कमडीज जैसे वैज्ञानिकों के सबसे प्रामाणिक सिद्धांतों को चुनौती देने वाले हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में सहायक निदेशक अजय शर्मा की मेहनत रंग लाने लगी है।
सरकार के आदेशों पर ही राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी इंडिया अजय शर्मा के दावों की परख की जा रही है।
इस भारतीय ने दी थी न्यूटन-आइंस्टीन को चुनौती, मोदी सरकार परख रही है सच्चाई, बदलेगा इतिहास? यदि सब कुछ ठीक रहा तो भारत दुनिया में एक ऐसा परचम लहरा सकता है, जो विज्ञान के इतिहास को बदल देगा।
अजय के अनुसार जब वे 19 साल के थे और बीएससी. द्वितीय वर्ष के छात्र थे, तभी उनको इस बात का भरोसा हो गया था कि आइंस्टीन के पदार्थ-ऊर्जा समीकरण (E=mc2), व न्यूटन के गति के नियम और आर्कमडीज का सिद्धांत अधूरे हैं। अगर उनमें संशोधन किया जाए तो वे अधिक उपयोगी हो सकते हैं।
आइंस्टीन के पदार्थ-ऊर्जा-समीकरण E=mc2 पर गहन शोध के बाद कहते हैं, कि इस सिद्धांत के अनुसार जब कोई मोमबत्ती जलती है, तो उसका मास कम हो जाता है, प्रकाश और ऊर्जा निकलती है।आइंस्टीन ने यह समीकरण विशेष परिस्थितियों में प्राप्त किया था।
इसका अर्थ यह है कि वस्तु से सिर्फ प्रकाश की दो किरणें निकलती हैं। दोनों किरणों में प्रकाश की मात्रा बराबर होती है, और दोनों ही किरणें विपरीत दिशाओं से निकलती हैं।
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