हिन्दुस्तान के इतिहास में 24 मई 2014 को एक ऐसे व्यकित ने प्रधान सेवक को तौर पर शपथ ली जो भारत के विकास के लिए न सिर्फ अपने देश मेंसंभावनाओं की तलाश की बल्कि विदेशों में भारत के लिए संभावनाओं को तालाशने का प्रयास किया । किसी हद तक संभावनाओं को तलाश पाने में सफल भी हुए है । अब तक मोदी 50 से ज्यादा देशो की यात्रा कर चुके हैं। और इस यात्रा में लगभग 500 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। लेकिन सवाल उठता ये है ,कि इन यात्राओं से देश को मिलता क्या है । आखिर देश के अन्दर बेरोजगारी में कोई कमी नही आई है । तो आखिर मोदी कौन ,सी उम्मीद तलाशने जा रहे हैं। जब कि भारत का हर युवा जानना चाहता है। लेकिन मोदी जब जब विदेश दौरे पर जाते हैं तो अक्सर ये बात करते हैं। कि भारत मेंआइए और निवेश कीजिये । और इसी तर्ज पर पीएम ने मेक इन इंडिया नाम से 24 सितंबर 2014 को एक प्रोग्राम बनाया । लेकिन अब तक कोई निवेशक भारत में अपनी दिलचस्पी कोई खास नही दिखाया है । लेकिन कुछ बड़ी कंपनियों के सीइओ ने भारत की और रुख किया। जैसे गुगल के सीईओ सुंदर पीचाई से लेकर फेसबुक के सीईओ मार्क जुकर बर्ग और एप्पल के सीईओ टीम कुक तक शामिल है। जो भारत आए और यहां के माहौल के आधार पर वो अपना निवेश करेगें ।
ये बात कही है । लेकिन सवाल ये है कि देश के अंदर 12करोड़ से ज्यादा लोग आज बेरोजगार हैं। तो उनको नौकरी कैसे मिलेगी। क्योकि ये कंपनिया तो कुछ हजार या कुछ लाख नौकरी ही दे सकती हैं। तो क्या मोदी का किया हुआ वादा युवाओं से पुरा कर पायेगें इसको समझना थोड़ा मुश्किल है। तो जरा इन आंकड़ो के जरिेये समझने की कोशिश कीजिये तो समझ जायेगें, कि देश में बेरोजगारी का दर क्या है और युवाओं की अपेक्षाएं क्या है। बेरोजगारों में 25 फीसदी 20 से 24 आयुवर्ग के हैं, जबकि 25 से 29 वर्ष की उम्र वाले युवकों की तादाद 17 फीसदी है. 20 साल से ज्यादा उम्र के 14.30 करोड़ युवाओं को नौकरी की तलाश है. विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ता बेरोजगारी का यह आंकड़ा सरकार के लिए गहरी चिंता का विषय है ।वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर केंद्र सरकार की ओर से हाल में जारी इन आंकड़ों में महिला बेरोजगारी का पहलू भी सामने आया है।. नौकरी की तलाश करने वालों में लगभग आधी महिलाएं शामिल हैं. इससे यह मिथक भी टूटा है कि महिलाएं नौकरी की बजाय घरेलू कामकाज को ज्यादा तरजीह देती हैं. इनमें कहा गया है कि बेरोजगारों में 10वीं या 12वीं तक पढ़े युवाओं की तादाद 15 फीसदी है. यह तादाद लगभग 2.70 करोड़ है.
तकनीकी शिक्षा हासिल करने वाले 16 फीसदी युवा भी बेरोजागारों की कतार में हैं. इससे साफ है कि देश के तकनीकी संस्थानों और उद्योग जगत में और बेहतर तालमेल जरूरी है.।पढ़े-लिखे युवा छोटी-मोटी नौकरियां करने की बजाय बेहतर मौके की तलाश करते रहते हैं. बेरोजगार युवाओं में लगभग आधे लोग ऐसे हैं जो साल में छह महीने या उससे कम कोई छोटा-मोटा काम करते हैं. लेकिन उनको स्थायी नौकरी की तलाश है. कुल बेरोजगारों में ऐसे लोगों की तादाद लगभग 34 फीसदी यानि 1.19 करोड़ है. वर्ष 2001 से 2011 के दौरान 15 से 24 वर्ष के युवाओं की आबादी में दोगुनी से ज्यादा वृद्धि हुई है, लेकिन दूसरी ओर उनमें बेरोजगारी की दर 17.6 फीसदी से बढ़ कर 20 फीसदी तक पहुंच गई है. वर्ष 2001 में जहां 3.35 करोड़ युवा बेरोजगार थे वहीं 2011 में यह तादाद 4.69 करोड़ पहुंच गई. वर्ष 2001 में युवाओं की आबादी एक करोड़ थी जो 2011 में 2.32 करोड़ हो गई यानि इसमें दोगुना से ज्यादा वृद्धि दर्ज हुई. इसके मुकाबले इस दौरान देश में कुल आबादी में 17.71 फीसदी वृद्धि दर्ज हुई. इन आंकड़ों से साफ है कि युवाओं की तादाद जहां तेजी से बढ़ रही है वहीं उनके लिए उस अनुपात में नौकरियां नहीं बढ़ रही हैं.
तो सवाल ये हैकि नौकरियां बढेगी कैसे तो मोदी ने एक और रास्ता अपनाया है। और शायद किसी स्तर तक आप उसको सही मान सकते है। और वो है ।स्किल इंडिया 15 जुलाई 2015 ,को इसकी रखी और ऐसा माना जाता है। 4 से5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है। और लाखोंकी संख्या में लाभार्थी हैं । इसके लेकिन इसके बावजुद सवाल ये होगा कि बाकी को कैसे रोजगार मिलेगा तो बाकी के लिए विदेशी निवेशको को लगातार आने को कहा जा रहा है। और शायद मोदी अब जिन 5 देशो की यात्रा पर हैं। तो वहां से कयास आप लगा सकते हैंकि भारत में निवेश करने वाली कंपनियों कीसंख्या में इजाफा होगा ।
खास कर अमेरिका भारत के बाजार पर भरोसा करता है। और वो भारत में अब अपना निवेश बढाना चाहेगा । इसलिए रोजगार के अवसर बढेगें लेकिन भारत के बाजार को लेकर निवेशकों में थोड़ा सा भय का माहौल है, तो उनको थोड़ा भरोसा दिलाना होगा की भारत् में उनको अवसर दिलाना होगा की भारत में उनको अनकुल महैोल मिलेगा । और इसीलिए पीएम लगातार यात्रा कर रहे है विदेशो का ।
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