भारत के इतिहास में साल 1999 का वो दिसंबर का महीना एक संकट की तरह आया था जब आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना को छुड़ाने के लिए भारतीय. विमान 814 को अपहरण कर लिया था बदले में मसुद अजहर की रिहाई मांगा था । लेकिन भारत अजहर को छोड़ना नही चाहता था। और नही आतंक के सामने झुकना चाहता था । देश के ,मौजुदा पीएम अटल बिहारी वाजपेयी आतंक को किसी भी हालत में बर्दाश्त नही करते थे। तभी तो वो साल 1999 के गणतंत्र दिवस पर उन्होने सींमा पार के लोगों को चेताया था , कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नही कर सकता । और अगर आतंकवाद का रास्ता छोड़कर अगर सीमा पार के लोग भारत के,साथ आना चाहते हैंतो भारत उसका स्वागत करेगा । लेकिन ऐसा हुआ नही था । जब पीएम भाषण दे रहे थे । और देश अपना 52 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था और उधर पाकिस्तान के तरफ से रह रह कर फायरिंग हो रही थी । लेकिन इस भुमिका के इतर आप अगर ऩजर डाले तो जिस मसुद अजहर ने दावा किया है । की वाजपेयी सरकार ने अपहरण यात्री को छोड़ने के एवज में तालीबान रूपए देने की पेशकश की थी । और ये बात उसने कहा की उस समय के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने ,कही थी । और ये दावा वो अल कायदा के साप्ताहिक अखबार में 3 जून के संस्करण में अजहर ने मंसूर की मौत की खबर देते हुए इस बात का जिक्र किया है । इसके अलावा वो भारत के खिलाफ जहर उगलने के लिए इस्लामिक पत्रिका अल कलाम का प्रयोग करता है। आपको जानकर हैरानी होगी अल कलाम सबसे ज्यादा बिकने वाली इस्लामिक पत्रिकाओं में से एक है । और कई खुलासे तो भारत के खिलाफ उस समय़ किया है । जब पाकिस्तान ये कह रहा था। वो अजहर के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है । लेकिन उस समय भी वो भारत के खिलाफ जहर उगल रहा था। तो इससे साफ जाहिर होता है। कि भारत जिन्हे अपने अपना दुश्मन मानता है । वो लोग पाकिस्तान में न सिर्फ मदद पाते है। बल्कि पाकिस्तान के सरकार की इतनी हिम्मत भी नही होती की इनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सके । उसके किसी भी नेता में इतनी हिम्मत नही है। चाहे वो पीएम नवाज शरीफ ही क्यो न हो भारत के दबाव में शरीफ अपनी शराफत को दिखाने की कोशिश तो किये थे । लेकिन उनको चेता दिया गया कि हिन्दुस्तान के प्रति इतना ज्य़ादा वफादार नही होना है। हालांकि की ये बातें मै उन दिनो के पाकिस्तानी अखबारों के भाषा से समझा जा सकता है। लेकिन आपको इस पुरे मामले को समझने के लिए मसुद अजहर कौन है और कौन है इसके साथी जरा जानिए इसके बारे में । इसका जन्म 10 जुला्ई 1968 को पाकिस्तान के बहावलपुर में हुआ था । और इसकी निष्ठा शुरू से ही हरकत-उल-अन्सार, हरकत-उल-मुजाहिद्दीन, जैश-ए-मोहम्मद मे थी । इसी रिश्ते को सुधारने के लिए साल 1994 में, अज़हर हरकत-उल-अंसार के समर्थक हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी और अह्रकत-उल-मुजाहिद्दीन के बीच खराब होते रिश्तों को सुधारने श्रीनगर आया। भारत ने उसे फरवरी में गिरफ़्तार करके उसकी आतंकी गतिविधियों की वजह से उसे जेल में डाल दिया । और भारत की जेल में वो 5 साल रहा । लेकिन विमान को हाईजैक करके इसको छुडाया गया । और इसको सबसे ज्यादा प्रोटेश्कन तालिबान के सरगना मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर ने दिया था और भारत से इसे छुड़ाने के लिए मंसुर का बहुत बड़ा हाथ था। , जो पिछले महीने अमेरिका के ड्रोन हमले में मारा जा चुका है. विमान के हाईजैक के वक्त मंसूर तालिबान के इस्लामिक अमीरत ऑफ अफगानिस्तान का नागरिक उड्डयन मंत्री था. और इसी ने ही31 दिसंबर 1999 को कंधार स्वैप में अजहर और उसके साथियों मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को रिहा किया गया था. मंसूर ने कंधार एयरपोर्ट पर अजहर को रिसीव किया था और उसे अपनी लैंड क्रूजर कार में अपने साथ ले गया था. लेकिन मसूद ने यहां तक लिखा कि मंसूर ने उसे बताया था कि जसवंत सिंह उससे मिले थे. मंसूर के मुताबिक जसवंत सिंह ने उससे कहा था कि आप मसूद को गिरफ्तार करके हमें सौंप दें, हम आपकी हुकूमत को मालामाल करेंगे। लेकिन ये बात सिर्फ उसी तक सीमित होती है भारत मे इसके बातो को सिरे खारिज किया है। उस समय इन दोनो आतंकियो के साथ जसवंत सिंह के साथ गये पुर्व राजनायिक विवेक काटजू उसके दावे को सिरे से खारिज करते है। साफ कहते हैं कि मुझे तो याद नही की ऐसी कभी पेशकश भारत ने की हो । ये आधारहीन खबर है। जबकि हाईजैक के दौरान कंधार एयरपोर्ट पर मौजूद रॉ के पूर्व ऑफिसर आनंद अर्नी ने भी कहा, 'जहां तक मुझे याद है, मुझे नहीं लगता कि मंसूर और जसवंत सिंह मिले थे.' लेकिन इसके अलावा भी कई सारे तथ्य ऐसे मिलते है। जिससे ये सिध्द होता है कि भारत ने कभी तालिबान को रूपए देने करी कोई बात नही की थी । हालांकि जबसे भारत से वो छुट कर गया है तब से वो हमेशा भारत के खिलाफ लिख और बोल रहा है। साथ ही भारत के खिलाफ हर गतिविध में वो आतंकियो का पुरा साथ देता है । सबसे बड़ी बात तो ये है कि जो संयुक्त राष्ट्र संघ आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ने की बात करता है उसी के लिस्ट में अजहर का संगठन आतंकी संगठनों के फेहरिस्त में है। लेकिन इसका नाम प्रतिबंधित लोगो के फेहरिस्त में नही है। दरअसल भारत ने इसको प्रतिबंधित करने की मांग की थी । लेकिन चीन के वीटो के चलते । पास नही हो सका खैर चाहे जो भी मामला हो अभी तो अजहर से लेकर उसके भाई कोसूद, उसके भाई अब्दुल रऊफ, कासिफ जान और शाहिद लतीफ को भूमिगत होने का निर्देश दिया गया है। और इनको खास तौर पर आई एस आई एस के तरफ से भी खास सुविधआ मिल रही है इनको इसलिए ये लोग इतना ज्यादा भारत के खिलाफ सक्रीयता के साथ काम कर रहे है । लेकिन इसके अलावा अपको ये जानना आपको जरुरी हो जाता है कि आखिर देश में पहला धमाका कब हुआ और कितने लोग मारे गए थे । तो मै आपको बताता हुं कि पहला धमाका भारत में साल 3 अगस्त 1984 को मीनमबाक्कम तमिलनाडु में बम विस्फोट हुआ जिसमें 30 लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी ।और 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी । इसके बाद तो भारत में एक के बाद 22 धमाके हो चुके हैँ जिसमें 1920 लोगो की मौत हो चुकी है। और 2700 से ज्यादा लोग घायल है। और 150 से ज्यादा लोग अपने हाथ पैर कान और आंख गंवा चुके हैं वो अपने दिन किसी तरह ,से अपना जीवन काट रहे है। वैसे साल 1984 के बाद 3 साल तक भारत में कोई आतंकी हमला नही हुआ इसके बाद 1987 को पंजाब में हत्याओं का मामला हुआ और इसमें लोगों की जान गई थी औसत ये मान लिजिए की दो या तीन साल के अंतर में भारत मेंधमाके और आतंकी हमले होते रहे है। लेकिन साल 2000 से 2016 तक भारत में कोई ऐसा साल नही गया जिसमें कोई साल नही जिसमें हिन्हुस्तान में धमाका और आतंकी हमला न हुआ हो मतलब एक चीज तो साफ है कि भारत आज भी आतंक के खिलाफ भले ही जंग लड़ रहा हो लेकिन आतंकी भारत को लुहलुहान करने में कोई कसर नही छोडता और बेगुनाह लोगों की जान ले लेता है। खैर भारत के लिए पहली चुनौती यही है कि वो अपने देश की सुरक्षा को मजबुत कर आतंक को रोकना होगा। जो एक चुनौता है। भारत के लिए ।
तो अब जहर उगल रहा है मसुद अजहर
भारत के इतिहास में साल 1999 का वो दिसंबर का महीना एक संकट की तरह आया था जब आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना को छुड़ाने के लिए भारतीय. विमान 814 को अपहरण कर लिया था बदले में मसुद अजहर की रिहाई मांगा था । लेकिन भारत अजहर को छोड़ना नही चाहता था। और नही आतंक के सामने झुकना चाहता था । देश के ,मौजुदा पीएम अटल बिहारी वाजपेयी आतंक को किसी भी हालत में बर्दाश्त नही करते थे। तभी तो वो साल 1999 के गणतंत्र दिवस पर उन्होने सींमा पार के लोगों को चेताया था , कि भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नही कर सकता । और अगर आतंकवाद का रास्ता छोड़कर अगर सीमा पार के लोग भारत के,साथ आना चाहते हैंतो भारत उसका स्वागत करेगा । लेकिन ऐसा हुआ नही था । जब पीएम भाषण दे रहे थे । और देश अपना 52 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा था और उधर पाकिस्तान के तरफ से रह रह कर फायरिंग हो रही थी । लेकिन इस भुमिका के इतर आप अगर ऩजर डाले तो जिस मसुद अजहर ने दावा किया है । की वाजपेयी सरकार ने अपहरण यात्री को छोड़ने के एवज में तालीबान रूपए देने की पेशकश की थी । और ये बात उसने कहा की उस समय के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने ,कही थी । और ये दावा वो अल कायदा के साप्ताहिक अखबार में 3 जून के संस्करण में अजहर ने मंसूर की मौत की खबर देते हुए इस बात का जिक्र किया है । इसके अलावा वो भारत के खिलाफ जहर उगलने के लिए इस्लामिक पत्रिका अल कलाम का प्रयोग करता है। आपको जानकर हैरानी होगी अल कलाम सबसे ज्यादा बिकने वाली इस्लामिक पत्रिकाओं में से एक है । और कई खुलासे तो भारत के खिलाफ उस समय़ किया है । जब पाकिस्तान ये कह रहा था। वो अजहर के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है । लेकिन उस समय भी वो भारत के खिलाफ जहर उगल रहा था। तो इससे साफ जाहिर होता है। कि भारत जिन्हे अपने अपना दुश्मन मानता है । वो लोग पाकिस्तान में न सिर्फ मदद पाते है। बल्कि पाकिस्तान के सरकार की इतनी हिम्मत भी नही होती की इनके खिलाफ कोई कार्रवाई कर सके । उसके किसी भी नेता में इतनी हिम्मत नही है। चाहे वो पीएम नवाज शरीफ ही क्यो न हो भारत के दबाव में शरीफ अपनी शराफत को दिखाने की कोशिश तो किये थे । लेकिन उनको चेता दिया गया कि हिन्दुस्तान के प्रति इतना ज्य़ादा वफादार नही होना है। हालांकि की ये बातें मै उन दिनो के पाकिस्तानी अखबारों के भाषा से समझा जा सकता है। लेकिन आपको इस पुरे मामले को समझने के लिए मसुद अजहर कौन है और कौन है इसके साथी जरा जानिए इसके बारे में । इसका जन्म 10 जुला्ई 1968 को पाकिस्तान के बहावलपुर में हुआ था । और इसकी निष्ठा शुरू से ही हरकत-उल-अन्सार, हरकत-उल-मुजाहिद्दीन, जैश-ए-मोहम्मद मे थी । इसी रिश्ते को सुधारने के लिए साल 1994 में, अज़हर हरकत-उल-अंसार के समर्थक हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी और अह्रकत-उल-मुजाहिद्दीन के बीच खराब होते रिश्तों को सुधारने श्रीनगर आया। भारत ने उसे फरवरी में गिरफ़्तार करके उसकी आतंकी गतिविधियों की वजह से उसे जेल में डाल दिया । और भारत की जेल में वो 5 साल रहा । लेकिन विमान को हाईजैक करके इसको छुडाया गया । और इसको सबसे ज्यादा प्रोटेश्कन तालिबान के सरगना मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर ने दिया था और भारत से इसे छुड़ाने के लिए मंसुर का बहुत बड़ा हाथ था। , जो पिछले महीने अमेरिका के ड्रोन हमले में मारा जा चुका है. विमान के हाईजैक के वक्त मंसूर तालिबान के इस्लामिक अमीरत ऑफ अफगानिस्तान का नागरिक उड्डयन मंत्री था. और इसी ने ही31 दिसंबर 1999 को कंधार स्वैप में अजहर और उसके साथियों मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख को रिहा किया गया था. मंसूर ने कंधार एयरपोर्ट पर अजहर को रिसीव किया था और उसे अपनी लैंड क्रूजर कार में अपने साथ ले गया था. लेकिन मसूद ने यहां तक लिखा कि मंसूर ने उसे बताया था कि जसवंत सिंह उससे मिले थे. मंसूर के मुताबिक जसवंत सिंह ने उससे कहा था कि आप मसूद को गिरफ्तार करके हमें सौंप दें, हम आपकी हुकूमत को मालामाल करेंगे। लेकिन ये बात सिर्फ उसी तक सीमित होती है भारत मे इसके बातो को सिरे खारिज किया है। उस समय इन दोनो आतंकियो के साथ जसवंत सिंह के साथ गये पुर्व राजनायिक विवेक काटजू उसके दावे को सिरे से खारिज करते है। साफ कहते हैं कि मुझे तो याद नही की ऐसी कभी पेशकश भारत ने की हो । ये आधारहीन खबर है। जबकि हाईजैक के दौरान कंधार एयरपोर्ट पर मौजूद रॉ के पूर्व ऑफिसर आनंद अर्नी ने भी कहा, 'जहां तक मुझे याद है, मुझे नहीं लगता कि मंसूर और जसवंत सिंह मिले थे.' लेकिन इसके अलावा भी कई सारे तथ्य ऐसे मिलते है। जिससे ये सिध्द होता है कि भारत ने कभी तालिबान को रूपए देने करी कोई बात नही की थी । हालांकि जबसे भारत से वो छुट कर गया है तब से वो हमेशा भारत के खिलाफ लिख और बोल रहा है। साथ ही भारत के खिलाफ हर गतिविध में वो आतंकियो का पुरा साथ देता है । सबसे बड़ी बात तो ये है कि जो संयुक्त राष्ट्र संघ आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ने की बात करता है उसी के लिस्ट में अजहर का संगठन आतंकी संगठनों के फेहरिस्त में है। लेकिन इसका नाम प्रतिबंधित लोगो के फेहरिस्त में नही है। दरअसल भारत ने इसको प्रतिबंधित करने की मांग की थी । लेकिन चीन के वीटो के चलते । पास नही हो सका खैर चाहे जो भी मामला हो अभी तो अजहर से लेकर उसके भाई कोसूद, उसके भाई अब्दुल रऊफ, कासिफ जान और शाहिद लतीफ को भूमिगत होने का निर्देश दिया गया है। और इनको खास तौर पर आई एस आई एस के तरफ से भी खास सुविधआ मिल रही है इनको इसलिए ये लोग इतना ज्यादा भारत के खिलाफ सक्रीयता के साथ काम कर रहे है । लेकिन इसके अलावा अपको ये जानना आपको जरुरी हो जाता है कि आखिर देश में पहला धमाका कब हुआ और कितने लोग मारे गए थे । तो मै आपको बताता हुं कि पहला धमाका भारत में साल 3 अगस्त 1984 को मीनमबाक्कम तमिलनाडु में बम विस्फोट हुआ जिसमें 30 लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो गई थी ।और 25 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी । इसके बाद तो भारत में एक के बाद 22 धमाके हो चुके हैँ जिसमें 1920 लोगो की मौत हो चुकी है। और 2700 से ज्यादा लोग घायल है। और 150 से ज्यादा लोग अपने हाथ पैर कान और आंख गंवा चुके हैं वो अपने दिन किसी तरह ,से अपना जीवन काट रहे है। वैसे साल 1984 के बाद 3 साल तक भारत में कोई आतंकी हमला नही हुआ इसके बाद 1987 को पंजाब में हत्याओं का मामला हुआ और इसमें लोगों की जान गई थी औसत ये मान लिजिए की दो या तीन साल के अंतर में भारत मेंधमाके और आतंकी हमले होते रहे है। लेकिन साल 2000 से 2016 तक भारत में कोई ऐसा साल नही गया जिसमें कोई साल नही जिसमें हिन्हुस्तान में धमाका और आतंकी हमला न हुआ हो मतलब एक चीज तो साफ है कि भारत आज भी आतंक के खिलाफ भले ही जंग लड़ रहा हो लेकिन आतंकी भारत को लुहलुहान करने में कोई कसर नही छोडता और बेगुनाह लोगों की जान ले लेता है। खैर भारत के लिए पहली चुनौती यही है कि वो अपने देश की सुरक्षा को मजबुत कर आतंक को रोकना होगा। जो एक चुनौता है। भारत के लिए ।
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