जानिये कैसे होती है सेक्स वर्करों की जिंदगी और कैसे बनती है सेक्स वर्कर

वैसे तो देह व्यापार एक धंधा है कोई अपने मर्जी से नही आना चाहता क्योंकि यहां पर उसके साथ कई तरह के जुल्म होता है। और उनको तरह तरह की यातनाएं भी दी जाता है। मतलब इसको अप इस तरह से समझ सकते हैं किजिंदगी नरक बन जाती है । तो अप खुद ही उन मजबुर सेक्स वर्करों की कहानी उनकी जूबानी लड़कियों ने अपने ऊपर हुए जुल्म और बदसलूकियों की दुखभरी दास्तां सुनाई। उनके मुताबिक, नशे का इंजेक्‍शन देकर और प्रताड़ित कर जबरन देह व्‍यापार करवाया जा रहा है। पहले किया रेप, फिर बनाया सेक्‍स वर्कर...
- गत 15 मई को पुणे की रहनेवाली दिशा (बदला हुआ नाम) कश्‍मीरी बाजार से भागकर पंचशील आश्रय गृह पहुंची।
- दिशा ने बताया, "6 साल पहले मुझे एक पहचान की महिला आगरा घुमाने लाई थी। यहां पर मुझे उसने रेड लाइट एरिया बसई में बेच दिया।"
- उसने बताया, "बसई आने के बाद जब मैंने उनकी बात मानने से मना कर दिया तो मेरे साथ रेप किया गया। मुझे नशे का इंजेक्‍शन दिया जाता था।"
- "दो महीने बाद उनका एक साथी मुझे कश्‍मीरी बाजार के कोठे में ले आया। यहां मुझसे जबरन देह व्‍यापार करवाया गया। इन 6 सालों में कई बार मैंने यहां से निकलने की कोशिश की, लेकिन सफल न हो सकी।"
- "जो लड़कियां सेक्‍स से इनकार करती हैं, उनकी पिटाई होती है। अंधेरी कोठरी में बंद कर दिया जाता है। कड़ी निगरानी की वजह से यहां मौत भी नसीब नहीं है।"
- दिशा ने बताया कि उसने कई ग्राहकों से कोठे से बाहर निकालने में मदद करने को कहा, लेकिन किसी ने हेल्प नहीं की।
ऐसे निकली दलदल से
- गत मई के महीने में हेल्थ डिपार्टमेंट के अवेयरनेस प्रोग्राम के तहत एनजीओ वर्कर्स प्रचार के लिए घर-घर घूम रहे थे।
- तभी इस युवती ने एक वर्कर को पर्ची थमा दी।
- पर्ची में लिखा था, "मुझे कोठे में कैद करके रखा गया है। मुझे यहां से निकालो।"
- पर्ची देख कार्यकर्ता ने अपने साथियों की मदद से दिशा को कोठे से निकाल लिया।
- कोठे से निकलकर दिशा आश्रय गृह आ गई।
- दिशा ने बताया कि अब भी 3 लड़कियां कोठे में कैद हैं।
- पंचशील आश्रय गृह की डायरेक्टर डीडी मथुरिया ने बताया कि पुलिस और युवती के परिवार को सूचना दी गई है। युवती को जल्‍द ही उसके घर भेजा जाएगा।
कब से मनाया जाता है सेक्स वर्कर डे
- 2 जून का दिन इंटरनेशनल सेक्स वर्कर डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
- इस दिन सेक्स वर्कर्स का सम्मान किया जाता है।
- सेक्स वर्कर्स को जिन मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ता है, उसी संघर्ष को इस दिन सम्मानित किया जाता है।
- 1975 से लगातार इस दिवस को सेलिब्रेट किया जा रहा है।
- सेक्स वर्कर्स के मुताबिक, उन्हें यहां जबरदस्ती रखा जाता है। रहने की कंडीशन्स बेहद खराब होती हैं।
इंजेक्शन देकर करवाया जात है धंधा
रेड लाइट एरिया सेब का बाजार की 32 वर्षीय सेक्‍स वर्कर रूपाली (बदला हुआ नाम) ने बताया, "मैं वेस्ट बंगाल के परगना जिले की रहने वाली हूं। 8 साल पहले मेरा ब्वॉयफ्रेंड घुमाने के बहाने मुझे आगरा लाया था। यहां उसने मुझे कोठे पर बेच दिया।"
- रूपाली की एक 3 साल की बेटी भी है।
- रूपाली को एक बार कोठे से निकलने का मौका मिला था, लेकिन यहां लगी नशे की लत ने उसे दोबारा लौटने पर मजबूर कर दिया।
- रूपाली ने बताया, "मैं यहां नशे के इंजेक्‍शन की वजह से रुकी हूं। पता नहीं यह कौन-सा इंजेक्‍शन है। 2 साल पहले पुलिस की छापेमारी में मुझे यहां से रिहा करवाया गया था। लेकिन इंजेक्‍शन न मिलने से मुझे बेचैनी होने लगी। नशे की लत के लिए मुझे यहां लौटना पड़ा।"
- यहां पर सेक्स वर्कर्स को खास तरह के पेन किलर इंजेक्‍शन दिए जाते हैं। यह नशे का काम करता है। ये सेक्स वर्कर्स अब इन इंजेक्शन्स की आदी हो चुकी हैं।
- रूपाली ने बताया कि नई लड़कियों को बताया जाता है कि उसे जवान बनाने के लिए इंजेक्‍शन लगाया जा रहा है। कई साल बाद पता चलता है कि यह नशे का इंजेक्‍शन है।
- रूपाली अब अपना परिवार भूल चुकी है। अब इंजेक्‍शन के लिए पूरी जिंदगी यहीं बीतेगी।
टॉर्चर रूम में रखकर किया गया मजबूर
- कश्‍मीरी बाजार से छूटकर नारी संरक्षण गृह पहुंची नेपाल की रोशनी (बदला हुआ नाम) ने आपबीती बताई।
- रोशनी ने शुरुआत में सेक्‍स के कारोबार से मना किया था। इस पर उसे उसे मात्र डेढ़ फीट संकरे रास्‍ते से अंधेरे कमरे में धकेल दिया गया।
- इस कमरे को टॉर्चर रूम कहा जाता है।
- यहां 2 दिन तक रख दिया गया। टॉयलेट के लिए भी उसे बाहर नहीं निकालने दिया जाता था।
- बदबू और गंदगी की वजह से वह बेहोश हो गई। जब आंख खुली तो खुद को एक दूसरे कमरे में पाया।
- यहां उससे कहा गया कि मान जाओ नहीं, तो फिर से अंधेरे कमरे में छोड़ दिया जाएगा।
- तब मजबूरी में कोठा संचालक की बात माननी पड़ी।
- रोशनी ने बताया कि यहां लड़कियों पर कड़ी नजर रखी जाती है। कोई लड़की भाग न जाए या सुसाइड न कर ले, इसकी निगरानी की जाती है।
- मजबूरी में लड़कियां यहां सेक्‍स कारोबार में फंसी हुई हैं।
- कोई भी लड़की या औरत अपने मन से सेक्‍स का कारोबार नहीं करना चाहती।
मुझे कोठा संचालक ने चार बार बेचा
- मुंबई से भगाकर लाई गई चांदनी (बदला हुआ नाम) ने बताया, "3 साल पहले सहेली और ब्वॉयफ्रेंड फारुख खान के साथ मैं ताज महल घूमने आई थी। यहां से दिल्‍ली जाने पर फारुख ने हम दोनों को दिल्‍ली में बेच दिया।"
- चांदनी ने बताया कि दिल्ली से उसका सौदा एटा में किया गया।
- एटा में 4 महीने तक एक घर में कैद करके शारीरिक शोषण किया गया।
- बाद में आगरा के रेड लाइट एरिया सिकंदरा में रखा गया।
- चांदनी ने बताया, "मुझे यहां से बसई ले जाने की तैयारी थी। कमरे का गेट खुला रह गया था। मैंने मौका देखा और भागकर पुलिस के पास पहुंच गई।"
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वैसे तो देह व्यापार एक धंधा है कोई अपने मर्जी से नही आना चाहता क्योंकि यहां पर उसके साथ कई तरह के जुल्म होता है। और उनको तरह तरह की यातनाएं भी दी जाता है। मतलब इसको अप इस तरह से समझ सकते हैं किजिंदगी नरक बन जाती है । तो अप खुद ही उन मजबुर सेक्स वर्करों की कहानी उनकी जूबानी लड़कियों ने अपने ऊपर हुए जुल्म और बदसलूकियों की दुखभरी दास्तां सुनाई। उनके मुताबिक, नशे का इंजेक्‍शन देकर और प्रताड़ित कर जबरन देह व्‍यापार करवाया जा रहा है। पहले किया रेप, फिर बनाया सेक्‍स वर्कर...
- गत 15 मई को पुणे की रहनेवाली दिशा (बदला हुआ नाम) कश्‍मीरी बाजार से भागकर पंचशील आश्रय गृह पहुंची।
- दिशा ने बताया, "6 साल पहले मुझे एक पहचान की महिला आगरा घुमाने लाई थी। यहां पर मुझे उसने रेड लाइट एरिया बसई में बेच दिया।"
- उसने बताया, "बसई आने के बाद जब मैंने उनकी बात मानने से मना कर दिया तो मेरे साथ रेप किया गया। मुझे नशे का इंजेक्‍शन दिया जाता था।"
- "दो महीने बाद उनका एक साथी मुझे कश्‍मीरी बाजार के कोठे में ले आया। यहां मुझसे जबरन देह व्‍यापार करवाया गया। इन 6 सालों में कई बार मैंने यहां से निकलने की कोशिश की, लेकिन सफल न हो सकी।"
- "जो लड़कियां सेक्‍स से इनकार करती हैं, उनकी पिटाई होती है। अंधेरी कोठरी में बंद कर दिया जाता है। कड़ी निगरानी की वजह से यहां मौत भी नसीब नहीं है।"
- दिशा ने बताया कि उसने कई ग्राहकों से कोठे से बाहर निकालने में मदद करने को कहा, लेकिन किसी ने हेल्प नहीं की।
ऐसे निकली दलदल से
- गत मई के महीने में हेल्थ डिपार्टमेंट के अवेयरनेस प्रोग्राम के तहत एनजीओ वर्कर्स प्रचार के लिए घर-घर घूम रहे थे।
- तभी इस युवती ने एक वर्कर को पर्ची थमा दी।
- पर्ची में लिखा था, "मुझे कोठे में कैद करके रखा गया है। मुझे यहां से निकालो।"
- पर्ची देख कार्यकर्ता ने अपने साथियों की मदद से दिशा को कोठे से निकाल लिया।
- कोठे से निकलकर दिशा आश्रय गृह आ गई।
- दिशा ने बताया कि अब भी 3 लड़कियां कोठे में कैद हैं।
- पंचशील आश्रय गृह की डायरेक्टर डीडी मथुरिया ने बताया कि पुलिस और युवती के परिवार को सूचना दी गई है। युवती को जल्‍द ही उसके घर भेजा जाएगा।
कब से मनाया जाता है सेक्स वर्कर डे
- 2 जून का दिन इंटरनेशनल सेक्स वर्कर डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
- इस दिन सेक्स वर्कर्स का सम्मान किया जाता है।
- सेक्स वर्कर्स को जिन मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ता है, उसी संघर्ष को इस दिन सम्मानित किया जाता है।
- 1975 से लगातार इस दिवस को सेलिब्रेट किया जा रहा है।
- सेक्स वर्कर्स के मुताबिक, उन्हें यहां जबरदस्ती रखा जाता है। रहने की कंडीशन्स बेहद खराब होती हैं।
इंजेक्शन देकर करवाया जात है धंधा
रेड लाइट एरिया सेब का बाजार की 32 वर्षीय सेक्‍स वर्कर रूपाली (बदला हुआ नाम) ने बताया, "मैं वेस्ट बंगाल के परगना जिले की रहने वाली हूं। 8 साल पहले मेरा ब्वॉयफ्रेंड घुमाने के बहाने मुझे आगरा लाया था। यहां उसने मुझे कोठे पर बेच दिया।"
- रूपाली की एक 3 साल की बेटी भी है।
- रूपाली को एक बार कोठे से निकलने का मौका मिला था, लेकिन यहां लगी नशे की लत ने उसे दोबारा लौटने पर मजबूर कर दिया।
- रूपाली ने बताया, "मैं यहां नशे के इंजेक्‍शन की वजह से रुकी हूं। पता नहीं यह कौन-सा इंजेक्‍शन है। 2 साल पहले पुलिस की छापेमारी में मुझे यहां से रिहा करवाया गया था। लेकिन इंजेक्‍शन न मिलने से मुझे बेचैनी होने लगी। नशे की लत के लिए मुझे यहां लौटना पड़ा।"
- यहां पर सेक्स वर्कर्स को खास तरह के पेन किलर इंजेक्‍शन दिए जाते हैं। यह नशे का काम करता है। ये सेक्स वर्कर्स अब इन इंजेक्शन्स की आदी हो चुकी हैं।
- रूपाली ने बताया कि नई लड़कियों को बताया जाता है कि उसे जवान बनाने के लिए इंजेक्‍शन लगाया जा रहा है। कई साल बाद पता चलता है कि यह नशे का इंजेक्‍शन है।
- रूपाली अब अपना परिवार भूल चुकी है। अब इंजेक्‍शन के लिए पूरी जिंदगी यहीं बीतेगी।
टॉर्चर रूम में रखकर किया गया मजबूर
- कश्‍मीरी बाजार से छूटकर नारी संरक्षण गृह पहुंची नेपाल की रोशनी (बदला हुआ नाम) ने आपबीती बताई।
- रोशनी ने शुरुआत में सेक्‍स के कारोबार से मना किया था। इस पर उसे उसे मात्र डेढ़ फीट संकरे रास्‍ते से अंधेरे कमरे में धकेल दिया गया।
- इस कमरे को टॉर्चर रूम कहा जाता है।
- यहां 2 दिन तक रख दिया गया। टॉयलेट के लिए भी उसे बाहर नहीं निकालने दिया जाता था।
- बदबू और गंदगी की वजह से वह बेहोश हो गई। जब आंख खुली तो खुद को एक दूसरे कमरे में पाया।
- यहां उससे कहा गया कि मान जाओ नहीं, तो फिर से अंधेरे कमरे में छोड़ दिया जाएगा।
- तब मजबूरी में कोठा संचालक की बात माननी पड़ी।
- रोशनी ने बताया कि यहां लड़कियों पर कड़ी नजर रखी जाती है। कोई लड़की भाग न जाए या सुसाइड न कर ले, इसकी निगरानी की जाती है।
- मजबूरी में लड़कियां यहां सेक्‍स कारोबार में फंसी हुई हैं।
- कोई भी लड़की या औरत अपने मन से सेक्‍स का कारोबार नहीं करना चाहती।
मुझे कोठा संचालक ने चार बार बेचा
- मुंबई से भगाकर लाई गई चांदनी (बदला हुआ नाम) ने बताया, "3 साल पहले सहेली और ब्वॉयफ्रेंड फारुख खान के साथ मैं ताज महल घूमने आई थी। यहां से दिल्‍ली जाने पर फारुख ने हम दोनों को दिल्‍ली में बेच दिया।"
- चांदनी ने बताया कि दिल्ली से उसका सौदा एटा में किया गया।
- एटा में 4 महीने तक एक घर में कैद करके शारीरिक शोषण किया गया।
- बाद में आगरा के रेड लाइट एरिया सिकंदरा में रखा गया।
- चांदनी ने बताया, "मुझे यहां से बसई ले जाने की तैयारी थी। कमरे का गेट खुला रह गया था। मैंने मौका देखा और भागकर पुलिस के पास पहुंच गई।"

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