ओलंपिक में दो बार पदक जीतकर इतिहास बनाने वाले पहलवान सुशील कुमार की रियो ओलंपिक में खेलने की उम्मीदों पर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय अपना फैसला सुनायेगा। सुशील ने ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके नरसिंह यादव के साथ 74 किग्रा फ्री स्टाइल वर्ग में ट्रायल कराने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर पांच बार सुनवाई होने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश के इस सबसे बहुचर्चित मामले पर छह जून को फैसला सुनाने का निर्णय लिया था । इसमें देखना ये दिलचस्प होगा की आखिर अदालत मौका किसे देती है। एक,तरफ सुशील कुमार जैसे अनुभवी पहलवान को या फिर नरसिंह यादव जैसे नये पहलवान को । क्योंकि दोनों को कम नही आ जा सकता है।
ज्ञात हो कि पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की तरफ से दायर एक हलफनामे पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि महासंघ की राजनीति के अखाड़े को कोर्ट में न घसीटें। हाईकोर्ट ने यह नाराजगी महासंघ के वाइस प्रेजिडेंट की तरफ से दायर हलफनामे में गलत जानकारी देने पर जताई थी।
पूर्व में हाईकोर्ट ने कहा था कि पहलवान सुशील कुमार व नरसिंह पंचम यादव को कुश्ती महासंघ की राजनीति में मोहरों की तरह उपयोग न किया जाए। वहीं, हाईकोर्ट ने रियो ओलंपिक 2016 में 74 किग्रा फ्रीस्टाइल में भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा, इसको लेकर इन दोनों के बीच चल रही खींचतान को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया था।
इस मामले में फेडरेशन ने हाईकोर्ट के समक्ष दलील दी है कि नरसिंह ने कोटा जीतकर रियो ओलंपिक के लिए अपनी जगह बनाई है। फेडरेशन के अनुसार 2 से 3 बार सुशील कुमार ने नरसिंह यादव से किसी भी तरह के मुक़ाबले को टाला है। ऐसे में सुशील को अब यह मौका नहीं दिया जा सकता। उनके अनुसार रियो ओलंपिक के लिए नरसिंह यादव सुशील सिंह से बेहतर रेसलर है।
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