आइए आज आपको रूबरू कराते हैं एक ऐसे कलाकार से जिसे करीब 16 साल के संघर्ष के बाद आज वह पहचान मिली है जिसके लिए अपना गांव छोड़ वह मुंबई आया था। स्क्रीन पर अक्सर इनको निगेटिव कैरेक्टर्स में ही देखा है, लेकिन असल जिंदगी में उतने ही सरल और खुशदिल हैं। हम बात कर रहे है बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी की। गुरुवार से इंदौर में शुरू होने जा रहे सिनेविजन फिल्म फेस्ट में पंकज भी शामिल होंगे। 10वीं तक नहीं जानते थे क्या होती हैं फिल्में...
- पंकज ने बताया कि पिछले कुछ महीनों से मुझे ऐसे एसएमएस आने लगे हैं, जिसमें लोग कहते हैं कि भाई अच्छा काम कर रहे हो।
- पंकज ने बताया पिछले दिनों सुधीर मिश्रा मिल गए थे। उन्होंने कहा अच्छा काम कर रहा है पंकज... हर किरदार में कुछ अलग करता है तू...लेकिन सच मानिए मैं खुद यक़ीन नहीं कर पा रहा हूं कि मैं यह सब कर पाया।
- उन्होंने बताया कि किसान का बेटा हूं... 11वीं तक खेती करता रहा हूं। पटना के पास गांव में मेरे घर में आज भी टीवी नहीं है। पक्की सड़क नहीं है। गांव से 20 किलोमीटर दूर एकमात्र सिनेमाघर है।
- पंकज ने बताया कि 10वीं तक तो मैंने देखा नहीं था कि सिनेमा अाखिर किस चिड़िया का नाम है। हालांकि अब जब गुणी तारीफ करने लगे हैं तो जान पाया हूं कि कुछ न कुछ तो मैं कर ही लूंगा फिल्मों में।
- उन्होंने बताया कि एक मुश्किल जो आती है वह यह कि मैं रुपए पैसों की बात नहीं कर पाता। कोई पूछता है तो बता ही नहीं पाता। रेट पूछता है कोई तो कहता हूं भाई एक्टर हूं, सीमेंट की बोरी नहीं जो भाव पूछ रहे हो। अब समझ आ रहा है मैनेजर क्यों ज़रूरी है। ढूंढ रहा हूं मैं भी।
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