युं तो बीजेपी का नारा है कि सबका साथ और विकास और किसी हद तक पुरा भी कर रही है। लेकिन आखिर कार चुनाव जीतने के लिए विकास ही काफी नही है। उसके वोटरों की सोच को विकसित करना भी एक चुनौती है। बीजेपी 8 मार्च 2002 से यूपी की सत्ता से दुर है । यानी तकरीबन 14 साल हो गए हैं । तो बीजेपी यूपी की सत्ता से 14 वर्ष का वनवास काट कर वापसी करना चाहती है। जिससे वो रामराज्य करे ।और अयोध्या के राम को उनका मंदिर दे, ये मकसद है । तभी तो जिन बीजेपी के नेताओं के गला सुख गये थे अयोध्या राम मंदिर बनवाने के नामपर रट लगाते हुए वही नेता सत्ता पर आते ही खामोश है। तो इसका मतलब ये नही कि मंदिर नही बनाना चाहते । बल्कि इसका मतलब तो ये साफ है ,कि कहीं राममंदिर बनाने के चक्कर में कोई गलती न हो जाये और यूपी की सत्ता हाथ से निकल जाय ।
क्योकि इस खेल में यूपी की सत्ता बीजेपी से छिन चुकी है। इसलिए बीजेपी चाहती है, कि दिल्ली से लेकर यूपी तक की सत्ता उसकी हो तो राम का मंदिर बनाने में कोई परेशानी नही होगी । इसीलिए मई 2014 से बीजेपी राम मंदिर का कोई जिक्र नही करती ।इतना ही नही वो इसको चुनावी मुद्दा भी नही बनायेगी खैर ये तो बाद की बात है । दरअसल मुख्य मुद्दा तो ये है कि यूपी फतह करने के लिए मुसलमानों का साथ जरुरी है ।और बीजेपी को हर हाल मे मुसलमानों का साथ चाहिए तभी तो बुधवार कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने विकास पर्व पर बेगुनाह मुसलमानो के युवको के प्रति अपनी सहानभुति जाहिर की और अपनी चिंता भी जाहिर की । इतना ही नही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने तो दलितों के साथ भोजन भी किया । और अपने आप को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बताया और बीजेपी को अच्छे से पता है कि यूपी की सत्ता पर अगर पहुंचना है तो बिना दलितों और मुसलमानो के सहारे के बिना नही पहुचा जा सकता है।
इसलिए इन सबको कोई न कोई तो देखने वाला है। लेकिन इतने में गया सामान्य वर्ग वो किसी का वोट बैंक नही है तो उसके साथ कोई नेता बात भी नही करेगा । उसके हालत पर कोई चर्चा भी नही होगी । हालांकि यूपी के मुसलमानों ने माना है कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी दोनों ने मुसलमानो को ठगा है । और वादा खिलाफी की है। इसीलिये इमाम बुखारी ने 19-5-16 को लखनउ में मुलायम के आवास पर मलायम से मिले और काफी सख्त लहजे में मुसलमानो से किये वादे को याद दिलाया । इतना ही नही आजमगढ के तनाव में अपनी नाराजगी जाहिर की और मुलायम को समझाया लेकिन ये बात तो है कि जिस एकजुटता के साथ मुसलमानो ने सपा को साल 2012में 404 विधानसभा सीटो में से 229 सीट पर जीत दिलाई जबकि बीजेपी 79 सीट के साथ दुसरे नंबर पर है। तो बीजेपी की इस, बार पुरी कोशिश होगी की बीएसपी और एसपी से नाराज दलितो और मुसलमानों को अपनी ओर खींच लें ।
लेकिन जातिगत तरीके से नही विकास को हथियार बनाकर मुसलमान हो या दलित या फिर सामान्य हर किसी को विकास चाहिए। तो बीजेपी विकास,का वादा कर रही है। लेकिन एक सवाल तब भी बरकरार बना रहेगा कि यूपी की जनता को विकास भाता है । या फिर जातिगत राजनिति का वही पुराना ढर्रा क्योंकि बिहार की जनता को बीजेपी का विकास नही भाया था । और वहां की जनता ने बीजेपी को अपनी कमान नही दी। खैर ये तो जनता तय करेगी। लेकिन बीजेपी तो सिर्फ विकास के नाम से मसलमान और दलित को अपनी ओर लाने की कोशिश करेगी ।
लेकिन विकास का जादु इसलिए भी चल सकता है। कि यूपी मे विकास की दर काफी कम है। और जनता सड़क से लेकर अस्पताल तक स्वास्थ्य से लेकर स्कुल तक की हालत की खराब है । ये सबको पता है। दरअसल यूपी का जो विकास दर है जो आपको चौंका सकता है। चार राज्यों के विकास दर की तुलना करें तो 6,9की दर से सबसे नीचे है। तो विकास के लिए तरस रही यूपी की जनता की पुरी कोशिश होगी, की जातिगत राजनिति से उपर उठकर विकास का साथ दिया जाय । कई राज्यो ने विकास के नाम पर बीजेपी को अपनी सत्ता दी भी है। एम पी से लेकर असम तक इसी आधार पर बीजेपी को सत्ता मिली है।
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