खीर भवानी मेला घाटी में कश्मीरी पंडितों का सब से खास त्यौहार है. यह कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के बाद यह मेला विस्थापित पंडितों को एक-दूसरे से मिलने का मौका देता है. यही कारण है कि अब इस सालाना मेले को मिलन का मेला भी कहा जाता है.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी और पुनर्वास के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है और हरसंभव कोशिश कर रही है. रविवार को खीर भवानी मेले के मौके पर एक बार फिर विस्थापित कश्मीरी पंडितों की सकुशल घर वापसी करवाने की गारंटी दी है.
आतंकवाद बढ़ने के बाद कश्मीर से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडित इस खास दिन यानी ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर मंदिर में हाजिरी देने से नहीं चूकते. भले ही वह कहीं भी क्यों न रहते हों.
घाटी के तुलमुल के खीर भवानी मंदिर में ज्येष्ठ अष्टमी के मौके पर देश के कोने-कोने से कश्मीरी पंडित मंदिर में पहुंचते हैं. यही वह मौका होता है जब सालों से बिछड़े रिश्तेदार, पड़ोसी और दोस्तों से यहां मिलते हैं.
आपको बतादे कि ये मेला कश्मीर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी है. इस मेले में घाटी की हिंदू आबादी के साथ ही स्थानीय मुसलमान भी बढ़-चढ़ कर शामिल होते है.
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