यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का आगामी 3 जून को बाराबंकी की फतेहपुर तहसील क्षेत्र में कार्यक्रम प्रस्तावित है । अखिलेश यादव यहाँ महिला पॉलिटेक्निक का शिलान्यास करने आ रहे हैं।
लेकिन बाराबंकी की फतेहपुर तहसील के बारे में मिथक है की इस सरजमीं पर जिस किसी भी मुख्यमंत्री ने उड़नखटोले से पैर रखा यहां से जाने के बाद उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा है। पिछले लगभग ढाई दशक से इस क्षेत्र में उड़नखटोले से आने वाले मुख्यमंत्रियों को इस मिथक का शिकार होना पड़ा भी होना पड़ा है ।
स्थानीय लोग बताते है कि वर्ष 1993 के लोकसभा चुनाव के समय अपने पार्टी प्रत्याशी का प्रचार करने आये बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव फतेहपुर से वापस गये तो उन्हें चारा घोटाले एवं अन्य विवाद के चलते मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा। यही नहीं वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव के समय भाजपा प्रत्याशी बैजनाथ रावत के समर्थन में उड़नखटोले पर सवार होकर प्रचार करने आये तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को भी 1999 में मुख्यमंत्री पद गवाना पड़ा था।
यह सिलसिला यहीं नहीं रूका और वर्ष 2011 में सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी की मुख्यमंत्री मायावती का उड़नखटोला फतेहपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पहाड़ापुर में उतरा और 2012 क विधानसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।
स्थानीय लोगों की बात पर यकीन करें तो सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबन्धन की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे, केन्द्र सरकार में संचार मंत्री रहे प्रमोद महाजन भी इस श्रापित जगह के मिथक का शिकार हो चुके है ।
अब चूंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 3 जून को महिला पॉलिटेक्निक का शिलान्यास करने उड़नखटोले से ही आ रहे है लिहाज़ा इस बात को लेकर चर्चा आम है की इतिहास खुद को दोहराएगा या अखिलेश इस मिथक को तोड़ कर 2017 के चुनाव में फिर वापसी करेंगे । इस मिथक को लेकर स्थानीय सपा नेताओं में भी बेचैनी है और वो नहीं चाहते की अखिलेश इस मिथक का शिकार हो लिहाज़ा उन्होंने अखिलेश यादव को इस मिथक से आगाह करने के लिए उन्हें मैसेज और पत्र भी लिखा है
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