व्यापम घोटाला:CJI के पास पहुंचा मामला, एक ही केस में दो अलग-अलग फैसले


व्यापम घोटाले से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक दिलचस्प फैसला सुनाया. निधि कैम बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य मामले की सुनवाई कर रही
जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए. ये फैसले सामूहिक नकल में शामिल 634 छात्रों की सजा को लेकर हैं.
जस्टिस चेलमेश्वर ने सभी पक्षों को
सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा.
पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी. इस दौरान उन्हें कुछ भत्ते जरूर दिए जाएंगे. दूसरी ओर, जस्टिस सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और छात्रों की अपील को खारिज कर दिया. बेंच की ओर से दोहरा फैसला आने पर मामला चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर के पास भेज दिया गया है, वही आगे इस पर आदेश जारी करेंगे.
बता दें कि व्यापम ने सामूहिक नकल का मामला सामने आने के बाद साल 2008-2012 बैच के छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ छात्रों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दी थी.
कोर्ट ने इससे जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और व्यापम की ओर से लिए गए फैसले को सही ठहराया. जिसके बाद छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
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व्यापम घोटाले से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक दिलचस्प फैसला सुनाया. निधि कैम बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य मामले की सुनवाई कर रही
जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए. ये फैसले सामूहिक नकल में शामिल 634 छात्रों की सजा को लेकर हैं.
जस्टिस चेलमेश्वर ने सभी पक्षों को
सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा.
पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी. इस दौरान उन्हें कुछ भत्ते जरूर दिए जाएंगे. दूसरी ओर, जस्टिस सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और छात्रों की अपील को खारिज कर दिया. बेंच की ओर से दोहरा फैसला आने पर मामला चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर के पास भेज दिया गया है, वही आगे इस पर आदेश जारी करेंगे.
बता दें कि व्यापम ने सामूहिक नकल का मामला सामने आने के बाद साल 2008-2012 बैच के छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ छात्रों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दी थी.
कोर्ट ने इससे जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और व्यापम की ओर से लिए गए फैसले को सही ठहराया. जिसके बाद छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

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