
इसके लिए भारत 3376 करोड़ रुपए मुहैया कराएगा। डील के बाद मोदी ने कहा, ''आज इतिहास बना।'' दोनों देशों ने डील को 'गेम चेंजर' करार दिया। भारत अब अफगानिस्तान के जरिए सीधे ईरान से बिजनेस कर सकेगा। इस दौरान अफगान के प्रेसिडेंट भी वहां मौजूद थे।
1. ईरान में रेलवे लाइन बिछाएगा भारत: इरकॉन ईरान के चाबहार पोर्ट से जहेदान तक रेल लाइन बिछाएगा। इससे ईरान, अफगानिस्तान और एशिया तक भारत की पहुंच आसानी से हो सकेगी।
2. 15 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन: एक्सिम बैंक ऑफ इंडिया ईरान को 15 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन देगा।
3. अल्युमिनियम स्मेल्टर लगाएगा भारत: सरकारी कंपनी नाल्को ने एक एमओयू पर दस्तखत किए जिसके मुताबिक वह चाबहार फ्री ट्रेड जोन में 0.5 मिलियन टन का अल्युमिनियम स्मेल्टर लगाने के रास्ते के बारे में सोचेगा। बशर्ते ईरान कम कीमत पर नेचुरल गैस सप्लाई कराए।
4. एक्सपोर्ट गारंटी फंड : एक एमओयू ईरान के एक्सपोर्ट गारंटी फंड और भारत के एक्सपोर्ट गारंटी कॉरपोरेशन के बीच हुआ।
मोदी ने क्या कहा?
- मोदी ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खमैनी को सेवंथ सेन्चुरी की रेयर कुरान गिफ्ट दी।
- साथ ही प्रेसिडेंट को मिर्जा गालिब की पोएट्री का एक कलेक्शन भी दिया।
- मोदी ने रोहानी को पर्सियन में ट्रांसलेटेड सुमैर चंद की ओर से लिखी गई रामायण की कॉपी गिफ्ट की। इस पोर्ट के तैयार होने से भारत रीजनल लेवल पर भी बेहद मजबूत हो जाएगा। वजह ये है कि अफगानिस्तान और ईरान तक भारत की सीधी पहुंच हो जाएगी।
2. 15 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन: एक्सिम बैंक ऑफ इंडिया ईरान को 15 करोड़ डॉलर की क्रेडिट लाइन देगा।
3. अल्युमिनियम स्मेल्टर लगाएगा भारत: सरकारी कंपनी नाल्को ने एक एमओयू पर दस्तखत किए जिसके मुताबिक वह चाबहार फ्री ट्रेड जोन में 0.5 मिलियन टन का अल्युमिनियम स्मेल्टर लगाने के रास्ते के बारे में सोचेगा। बशर्ते ईरान कम कीमत पर नेचुरल गैस सप्लाई कराए।
4. एक्सपोर्ट गारंटी फंड : एक एमओयू ईरान के एक्सपोर्ट गारंटी फंड और भारत के एक्सपोर्ट गारंटी कॉरपोरेशन के बीच हुआ।
मोदी ने क्या कहा?
- मोदी ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खमैनी को सेवंथ सेन्चुरी की रेयर कुरान गिफ्ट दी।
- साथ ही प्रेसिडेंट को मिर्जा गालिब की पोएट्री का एक कलेक्शन भी दिया।
- मोदी ने रोहानी को पर्सियन में ट्रांसलेटेड सुमैर चंद की ओर से लिखी गई रामायण की कॉपी गिफ्ट की। इस पोर्ट के तैयार होने से भारत रीजनल लेवल पर भी बेहद मजबूत हो जाएगा। वजह ये है कि अफगानिस्तान और ईरान तक भारत की सीधी पहुंच हो जाएगी।
- यह पोर्ट ट्रेड और स्ट्रैटेजिक लिहाज से भारत के लिए काफी अहम है। इसलिए क्योंकि सी रूट से होते हुए भारत के जहाज ईरान में दाखिल हो सकते हैं और इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया तक के बाजार भारतीय कंपनियों और कारोबारियों के लिए खुल जाएंगे।
- न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर इंटरनेशनल कम्युनिटी ने ईरान पर बैन लगाए थे। वर्ल्ड कम्युनिटी और ईरान के बीच हुए समझौते के बाद इस बैन को हटाया गया है।
- भारत सरकार के एक अफसर का कहना है कि ईरान पर से बैन हटाए जाने के बाद कोशिश है कि भारत इस मौके का फायदा उठाए और ईरान से ट्रेड तेजी से बढ़ाया जाए।
- अफसर के मुताबिक, मोदी की ईरान विजिट बेहद कामयाब हो सकती है। इसके फायदे बहुत जल्द नजर आएंगे।
- भारत की कई बड़ी कंपनियां ईरान में आईटी और दूसरे सेक्टर में काम करना चाहती हैं। इस विजिट से इन कंपनियों को फायदा होगा।
- फारस की खाड़ी में ओएनजीसी की खोज वाले फरजाद-बी गैस क्षेत्र के डेवलपमेंट का अधिकार भी भारत लंबे समय से हासिल करना चाहता था। यह अब भारत को मिल भी गया है।
- दोनों देश अब इस पर आगे बढ़ सकते हैं। भारतीय ऑयल कंपनियों को इस स्कीम से काफी फायदा होगा।
- चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग जनवरी में ईरान गए थे। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन, ईरान और अमेरिका के बीच की दूरियों का फायदा अपने लिए उठाना चाहता है, लेकिन भारत इस मामले में आगे है। कल्चर के तौर पर भी भारत और ईरान काफी करीब हैं।
- न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर इंटरनेशनल कम्युनिटी ने ईरान पर बैन लगाए थे। वर्ल्ड कम्युनिटी और ईरान के बीच हुए समझौते के बाद इस बैन को हटाया गया है।
- भारत सरकार के एक अफसर का कहना है कि ईरान पर से बैन हटाए जाने के बाद कोशिश है कि भारत इस मौके का फायदा उठाए और ईरान से ट्रेड तेजी से बढ़ाया जाए।
- अफसर के मुताबिक, मोदी की ईरान विजिट बेहद कामयाब हो सकती है। इसके फायदे बहुत जल्द नजर आएंगे।
- भारत की कई बड़ी कंपनियां ईरान में आईटी और दूसरे सेक्टर में काम करना चाहती हैं। इस विजिट से इन कंपनियों को फायदा होगा।
- फारस की खाड़ी में ओएनजीसी की खोज वाले फरजाद-बी गैस क्षेत्र के डेवलपमेंट का अधिकार भी भारत लंबे समय से हासिल करना चाहता था। यह अब भारत को मिल भी गया है।
- दोनों देश अब इस पर आगे बढ़ सकते हैं। भारतीय ऑयल कंपनियों को इस स्कीम से काफी फायदा होगा।
- चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग जनवरी में ईरान गए थे। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चीन, ईरान और अमेरिका के बीच की दूरियों का फायदा अपने लिए उठाना चाहता है, लेकिन भारत इस मामले में आगे है। कल्चर के तौर पर भी भारत और ईरान काफी करीब हैं।
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