इंसानियत की मिसाल बने थे गिरिजा शंकर और मीना बैन, गोधरा में उपजे हिंदू मुस्लिम दंगों के बीच


देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच अविश्वास का माहौल बनाकर, दंगे कराकर ,घोर सामप्रदयिक छवि लिये लाशों और नैतिक मूल्यों को रोंदकर सत्ता प्राप्ति और राजनीति तो चमकायी जा सकती है पर इंसानियत को मलबे के ढेर में नीचे कदापि दबाया नहीं जा सकता है । इंसानियत का ऐसा ही एक उदाहरण गिरिजा शंकर और मीना बैन हैं ।
गुजरात के गोधरा के आसपास के इलाक़ों में हुए दंगों में कई मुसलमानों को मारा गया कईयों के घर बर्बाद हुये इतनी भीषण त्रासदी के बाद जब कुछ मुसलमान खाली हाथ उनके यहां पहुंचे तो इन लोगों ने ही अमन सोसायटी नामक जगह पर घर दिए गए हैं और यहीं दंगे में दरबदर हुये बच्चों के लिए एक स्कूल भी कायम किया हुआ है । 
गिरिजा शंकर और मीना बेन मुस्लिम बच्चों को पूरी लगन से पढ़ाते हैं । गुज़रात में भले ही बहुसंख्यक आबादी मुस्लिमों के ख़िलाफ़ दिखती हो लेकिन अभी भी इंसानियत में यकीन रखने वाले लोग हैं और यह बात एक आस बँधाती है तथा गिरिजा शंकर और मीना बेन से मिलने पर लगता है कि इंसानियत अभी मरी नहीं है
किस्मत में लिखा होगा कि मुसलमान मार डालेगा तो वो कहीं भी हो सकता है. जैसे कर्म करेंगे वैसा ही भोगेंगे. लेकिन यहां डर नहीं लगता. क्यों लगेगा. हम तो अच्छे कर्म करने में यकीन रखते हैं गिरिजा शंकर कहते हैं, 
देखिए मैं तो ट्रांसफर लेकर आया था इस स्कूल में. मैं पहले जहां पढ़ाता था वहां सब हिंदू बच्चे थे. पैसे वाले थे. वो पढ़ते नहीं थे. यहां बच्चे गरीब हैं. मां बाप दूर से आए हैं. कुछ बच्चों के तो मां बाप भी नहीं है दंगों के कारण लेकिन ये बच्चे अच्छे हैं. सीखते हैं.

स्कूल में बीसेक बच्चे हैं जिनके परिवार दंगों के कारण यहां आए. इनके अलावा आस पास के आदिवासी बच्चे भी यहां पढ़ने आते हैं. गिरिजा शंकर बताते हैं, ‘‘ छोटे बच्चे हैं. कुछ तो स्कूल आना नहीं चाहते तो हम उन्हें घर से लेकर आते हैं. बदमाशी भी करते हैं बच्चे लेकिन हमने कभी मारा नहीं किसी को. 2005 में ट्रांसफर का समय था 
तो मैंने खुद ही चुना यह स्कूल. लेकिन क्या उन्हें डर नहीं लगता मुस्लिम इलाके में नौकरी करने में, वो कहते हैं, ‘‘ किस्मत में लिखा होगा कि मुसलमान मार डालेगा तो वो कहीं भी हो सकता है. जैसे कर्म करेंगे वैसा ही भोगेंगे. लेकिन यहां डर नहीं लगता. क्यों लगेगा. हम तो अच्छे कर्म करने में यकीन रखते हैं.’’
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देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच अविश्वास का माहौल बनाकर, दंगे कराकर ,घोर सामप्रदयिक छवि लिये लाशों और नैतिक मूल्यों को रोंदकर सत्ता प्राप्ति और राजनीति तो चमकायी जा सकती है पर इंसानियत को मलबे के ढेर में नीचे कदापि दबाया नहीं जा सकता है । इंसानियत का ऐसा ही एक उदाहरण गिरिजा शंकर और मीना बैन हैं ।
गुजरात के गोधरा के आसपास के इलाक़ों में हुए दंगों में कई मुसलमानों को मारा गया कईयों के घर बर्बाद हुये इतनी भीषण त्रासदी के बाद जब कुछ मुसलमान खाली हाथ उनके यहां पहुंचे तो इन लोगों ने ही अमन सोसायटी नामक जगह पर घर दिए गए हैं और यहीं दंगे में दरबदर हुये बच्चों के लिए एक स्कूल भी कायम किया हुआ है । 
गिरिजा शंकर और मीना बेन मुस्लिम बच्चों को पूरी लगन से पढ़ाते हैं । गुज़रात में भले ही बहुसंख्यक आबादी मुस्लिमों के ख़िलाफ़ दिखती हो लेकिन अभी भी इंसानियत में यकीन रखने वाले लोग हैं और यह बात एक आस बँधाती है तथा गिरिजा शंकर और मीना बेन से मिलने पर लगता है कि इंसानियत अभी मरी नहीं है
किस्मत में लिखा होगा कि मुसलमान मार डालेगा तो वो कहीं भी हो सकता है. जैसे कर्म करेंगे वैसा ही भोगेंगे. लेकिन यहां डर नहीं लगता. क्यों लगेगा. हम तो अच्छे कर्म करने में यकीन रखते हैं गिरिजा शंकर कहते हैं, 
देखिए मैं तो ट्रांसफर लेकर आया था इस स्कूल में. मैं पहले जहां पढ़ाता था वहां सब हिंदू बच्चे थे. पैसे वाले थे. वो पढ़ते नहीं थे. यहां बच्चे गरीब हैं. मां बाप दूर से आए हैं. कुछ बच्चों के तो मां बाप भी नहीं है दंगों के कारण लेकिन ये बच्चे अच्छे हैं. सीखते हैं.

स्कूल में बीसेक बच्चे हैं जिनके परिवार दंगों के कारण यहां आए. इनके अलावा आस पास के आदिवासी बच्चे भी यहां पढ़ने आते हैं. गिरिजा शंकर बताते हैं, ‘‘ छोटे बच्चे हैं. कुछ तो स्कूल आना नहीं चाहते तो हम उन्हें घर से लेकर आते हैं. बदमाशी भी करते हैं बच्चे लेकिन हमने कभी मारा नहीं किसी को. 2005 में ट्रांसफर का समय था 
तो मैंने खुद ही चुना यह स्कूल. लेकिन क्या उन्हें डर नहीं लगता मुस्लिम इलाके में नौकरी करने में, वो कहते हैं, ‘‘ किस्मत में लिखा होगा कि मुसलमान मार डालेगा तो वो कहीं भी हो सकता है. जैसे कर्म करेंगे वैसा ही भोगेंगे. लेकिन यहां डर नहीं लगता. क्यों लगेगा. हम तो अच्छे कर्म करने में यकीन रखते हैं.’’

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