बस्तर: पुलिस के सामने 40 नक्सलियों ने डाले हथियार


रायपुर/जगदलपुर: आंध्रप्रदेश के नक्सली कमांडरों द्वारा छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के आदिवासी नक्सली सदस्यों के साथ बरते जा रहे भेदभाव से त्रस्त, पुलिस द्वारा लगातार दबाव बनाए जाने से, परिवारिक जीवन यापन करने के उदे्श्य तथा शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर शनिवार को 9 महिला समेत 40 नक्सलियों ने आईजी, कलेक्टर बस्तर, एसपी बस्तर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. समर्पित सभी नक्सली कटेकल्याण एरिया कमेटी के सदस्य हैं, जो बारसूर एवं कुदुर क्षेत्र में सक्रिय रहे है.

बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी, कलेक्टर अमित कटारिया एवं एसपी आरएन दाश ने संयुक्त पत्रवार्ता में बताया कि समर्पण करने वाले नक्सलियों में 1 मिल्रिटी कंपनी सदस्य, 1 एलओएस सदस्य, 3 जनमिलिशिया कमांडर, 1 जनमिलिशिया डिप्टी कमांडर, 19 जनमिलिशिया सदस्य,1 सीएनएम कमांडर, 8 सीएनएम सदस्य, 4 ग्राम कमेटी सदस्य एवं 2 संघम सदस्य शामिल हैं.

समर्पितों में मर्दापाल की महिला नक्सली सुबली कश्यप, जो 8 नंबर कंपनी की सदस्या है, की गिरफ्तारी पर 8 लाख का इनाम घोषित था. इसके अलावा चार अन्य इनामी नक्सलियों ने समर्पण किया है. लोहांडीगुड़ा थाना क्षेत्र के एक नक्सली विष्णुराम बघेल ने भरमार बंदूक के साथ सरेंडर किया है.

आत्मसमर्पित नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि बड़े नक्सली लीडरों में विचारधारा से भटककर पैसे कमाने व हिन्सा की प्रवृति बढ़ी है एवं विलासिता की प्रवृत्ति बढ़ गई है. बड़े नक्सली कमांडर स्थानीय लीडर पर दबाव बनाकर पुलिस पर हमला करने हेतु उकसाते हैं व गांव के युवकों को जो पुलिस के प्रति जुडना चाहते हैं, उनकी हत्या करवाने हेतु उकसाते हैं.

माओवादियों द्वारा की जाने वाली वसूली का एक बड़ा हिस्सा बड़े नक्सली कमाण्डर अपने साथ ले जाते हैं. नक्सली संगठन में महिलाओं का शोषण आम बात है. नक्सली आजकल शोषण के लिए ही ज्यादातर महिलाओं की भर्ती पर जोर दे रहे हैं,

जिससे ग्रामीण युवक आकर्षित होकर नक्सली संगठन से जुड़ सकें. समर्पितों ने बताया कि आंध्रप्रदेश के बड़े नक्सली कमांडर छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र में कई बड़ी नरसंहार जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं एवं जब उनको अपना पारिवारिक जीवन-यापन करना होता है तो आंध्र प्रदेश में जाकर बड़ी रकम की लालच में सरेंडर कर देते हैं. हम छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के नक्सलियों को ऐसा करने पर प्रताड़ित करके दुष्प्रचार करते हैं कि अगर संगठन छोड़कर जाओगे तो पुलिस तुमको मार देगी.

वर्तमान में नक्सली संगठन अपने मूल लक्ष्य से भटककर मात्र पैसा वसूली का जरिया बन गया है. आंध्र प्रदेश के नक्सली आदिवासियों के हितैषी नहीं हैं, बल्कि दुश्मन हैं, सिर्फ हमको भ्रमित कर संगठन चला रहे हैं.

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रायपुर/जगदलपुर: आंध्रप्रदेश के नक्सली कमांडरों द्वारा छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के आदिवासी नक्सली सदस्यों के साथ बरते जा रहे भेदभाव से त्रस्त, पुलिस द्वारा लगातार दबाव बनाए जाने से, परिवारिक जीवन यापन करने के उदे्श्य तथा शासन की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर शनिवार को 9 महिला समेत 40 नक्सलियों ने आईजी, कलेक्टर बस्तर, एसपी बस्तर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. समर्पित सभी नक्सली कटेकल्याण एरिया कमेटी के सदस्य हैं, जो बारसूर एवं कुदुर क्षेत्र में सक्रिय रहे है.

बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी, कलेक्टर अमित कटारिया एवं एसपी आरएन दाश ने संयुक्त पत्रवार्ता में बताया कि समर्पण करने वाले नक्सलियों में 1 मिल्रिटी कंपनी सदस्य, 1 एलओएस सदस्य, 3 जनमिलिशिया कमांडर, 1 जनमिलिशिया डिप्टी कमांडर, 19 जनमिलिशिया सदस्य,1 सीएनएम कमांडर, 8 सीएनएम सदस्य, 4 ग्राम कमेटी सदस्य एवं 2 संघम सदस्य शामिल हैं.

समर्पितों में मर्दापाल की महिला नक्सली सुबली कश्यप, जो 8 नंबर कंपनी की सदस्या है, की गिरफ्तारी पर 8 लाख का इनाम घोषित था. इसके अलावा चार अन्य इनामी नक्सलियों ने समर्पण किया है. लोहांडीगुड़ा थाना क्षेत्र के एक नक्सली विष्णुराम बघेल ने भरमार बंदूक के साथ सरेंडर किया है.

आत्मसमर्पित नक्सलियों ने पुलिस को बताया कि बड़े नक्सली लीडरों में विचारधारा से भटककर पैसे कमाने व हिन्सा की प्रवृति बढ़ी है एवं विलासिता की प्रवृत्ति बढ़ गई है. बड़े नक्सली कमांडर स्थानीय लीडर पर दबाव बनाकर पुलिस पर हमला करने हेतु उकसाते हैं व गांव के युवकों को जो पुलिस के प्रति जुडना चाहते हैं, उनकी हत्या करवाने हेतु उकसाते हैं.

माओवादियों द्वारा की जाने वाली वसूली का एक बड़ा हिस्सा बड़े नक्सली कमाण्डर अपने साथ ले जाते हैं. नक्सली संगठन में महिलाओं का शोषण आम बात है. नक्सली आजकल शोषण के लिए ही ज्यादातर महिलाओं की भर्ती पर जोर दे रहे हैं,

जिससे ग्रामीण युवक आकर्षित होकर नक्सली संगठन से जुड़ सकें. समर्पितों ने बताया कि आंध्रप्रदेश के बड़े नक्सली कमांडर छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र में कई बड़ी नरसंहार जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं एवं जब उनको अपना पारिवारिक जीवन-यापन करना होता है तो आंध्र प्रदेश में जाकर बड़ी रकम की लालच में सरेंडर कर देते हैं. हम छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के नक्सलियों को ऐसा करने पर प्रताड़ित करके दुष्प्रचार करते हैं कि अगर संगठन छोड़कर जाओगे तो पुलिस तुमको मार देगी.

वर्तमान में नक्सली संगठन अपने मूल लक्ष्य से भटककर मात्र पैसा वसूली का जरिया बन गया है. आंध्र प्रदेश के नक्सली आदिवासियों के हितैषी नहीं हैं, बल्कि दुश्मन हैं, सिर्फ हमको भ्रमित कर संगठन चला रहे हैं.


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