
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के लिए स्टील वाटर टैंकर उपलब्ध कराने की योजना से जुड़े टेंडर की प्रक्रिया की जांच के लिए कमेटी बनाई थी.
लेकिन वाटर सप्लाई में कई इलाकों से शिकायतें आनी शुरू हो गईं. सूत्रों के अनुसार जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जल बोर्ड के अधिकारियों और कुछ चुने हुए सदस्यों की भूमिका पर सवाल उठाए हैं.
जिनमें तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अलावा जल बोर्ड के सदस्यों में मतीन अहमद, जल बोर्ड के सीईओ, वित्त सदस्य, प्रोजेक्ट इंजीनियर, एनआईएसजी (हैदराबाद) का भी नाम सामने आया है.'
रिपोर्ट के अनुसार पांच बार रद्द किए जाने के बाद 360.55 करोड़ के नुकसान पर टेंडर पास किया गया. जबकि बेहतर प्लानिंग के जरिए सरकार को नुकसान से बचाया जा सकता था.
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