गांधी के देश में उनके पोते ही वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर, जानिए क्यों


नई दिल्ली: आप को सुनकर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है. देश को आजादी दिलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते कनुभाई गांधी दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं. कल पीएम मोदी के कहने पर कनुभाई से केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा मिले और मोदी से उनकी बात भी कराई. बापू और बा की कहानियां सुनाकर आज भी कनु रामदास गांधी की आंखें चमक उठती हैं.
कनु गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के तीसरे बेटे रामदास की इकलौती संतान हैं और इन दिनों दिल्ली के बदरपुर इलाके में गुरु विश्राम वृद्धाश्रम में पत्नी के साथ रहने को मजबूर हैं. सत्तासी साल के कनु गांधी महात्मा गांधी के लाडले थे. बापू कहते थे कि ये मेरा बेटा है और बा यानि कस्तूरबा गांधी कनु को अपने हाथों से थपकियां देकर सुलाती थीं.
सत्रह साल की उम्र तक कनु ने बापू के साथ अनेकों यात्राएं की. नेहरू जी से योग आसन सीखा और खान अब्दुल गफ्फार खां जैसे दिग्गजों के चहेते रहे. जीवन भर बापू के आदर्शों पर चले. लेकिन आज अपने ही देश में गुमनामी का जीवन बिता रहे है
महात्मा गांधी के पोते कनु रामदास गांधी कहते हैं, मेरे सम्पर्क में कोई नहीं है. मेरी खराब स्थिति के कारण लोग कहते हैं कि ये मर क्यों नहीं जाता. और मैं भी सोचता हूँ कि मैं मर क्यों नहीं जाता मुझे अपनी पत्नी के स्वास्थ्य की चिंता है. इसके साथ ही कनु रामदास गांधी कहते हैं कि तुषार गांधी बापू को इस्तेमाल करता है, उसमें बापू की वैल्यूज नहीं हैं.
महात्मा गांधी के निधन के कुछ समय बाद कनु गांधी पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए और अंतरिक्ष एजेंसी नासा से जुड़ गए. चालीस साल तक अमेरिका में रहने के बाद दो साल पहले कनु गांधी ने तय किया कि अब बाकी उम्र अपने देश में ही गुजारेंगे.
इसके लिए इन्हें सबसे मुफीद जगह लगी गुजरात का साबरमती आश्रम, लेकिन वहां पहुंच कर जैसे इनका मोहभंग हो गया. साबरमति आश्रम ही नहीं कनु गांधी को गुजरात से भी शिकायत है. कनु रामदास गांधी कहते हैं, “सोचा था सेवा होगी. साबरमति आश्रम दिखावा करता है. गुजरात की आबो हवा पसंद नहीं आई क्योंकि वो बापू की राह पे नही हैं,
कूछ ऊपर के लोग जो पावर में हैं मैं उनकी बात कर रहा हूँ. हालांकि कनु गांधी प्रधानमंत्री मोदी से काफी प्रभावित हैं और उनसे मिलना भी चाहते हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने अपनी ओर से कोई कोशिश नहीं की है. कनु रामदास गांधी कहते हैं, मोदी को जब सब दुत्कार रहे थे तब मैंने उनका साथ दिया.
मोदी ने सम्पर्क रखने को कहा था पर मैंने प्रयत्न नहीं किया. मैंने उनको बहुत सहारा दिया. उनसे ज़रूर मिलना चाहूंगा. बापू की बात उनको कहूँगा. कनु गांधी इन दिनों अपनी बीमार पत्नी की सेहत को लेकर काफी फिक्रमंद हैं,
जब कोई पूछता है भारत को आजादी दिलानेवाले महात्मा गांधी के पोते का इसी देश में ये हाल कैसे हो गया तो ये मुस्कुराकर सवाल को टाल जाते हैं.
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नई दिल्ली: आप को सुनकर हैरानी होगी, लेकिन ये सच है. देश को आजादी दिलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते कनुभाई गांधी दिल्ली के एक वृद्धाश्रम में अपना जीवन बिताने को मजबूर हैं. कल पीएम मोदी के कहने पर कनुभाई से केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा मिले और मोदी से उनकी बात भी कराई. बापू और बा की कहानियां सुनाकर आज भी कनु रामदास गांधी की आंखें चमक उठती हैं.
कनु गांधी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के तीसरे बेटे रामदास की इकलौती संतान हैं और इन दिनों दिल्ली के बदरपुर इलाके में गुरु विश्राम वृद्धाश्रम में पत्नी के साथ रहने को मजबूर हैं. सत्तासी साल के कनु गांधी महात्मा गांधी के लाडले थे. बापू कहते थे कि ये मेरा बेटा है और बा यानि कस्तूरबा गांधी कनु को अपने हाथों से थपकियां देकर सुलाती थीं.
सत्रह साल की उम्र तक कनु ने बापू के साथ अनेकों यात्राएं की. नेहरू जी से योग आसन सीखा और खान अब्दुल गफ्फार खां जैसे दिग्गजों के चहेते रहे. जीवन भर बापू के आदर्शों पर चले. लेकिन आज अपने ही देश में गुमनामी का जीवन बिता रहे है
महात्मा गांधी के पोते कनु रामदास गांधी कहते हैं, मेरे सम्पर्क में कोई नहीं है. मेरी खराब स्थिति के कारण लोग कहते हैं कि ये मर क्यों नहीं जाता. और मैं भी सोचता हूँ कि मैं मर क्यों नहीं जाता मुझे अपनी पत्नी के स्वास्थ्य की चिंता है. इसके साथ ही कनु रामदास गांधी कहते हैं कि तुषार गांधी बापू को इस्तेमाल करता है, उसमें बापू की वैल्यूज नहीं हैं.
महात्मा गांधी के निधन के कुछ समय बाद कनु गांधी पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए और अंतरिक्ष एजेंसी नासा से जुड़ गए. चालीस साल तक अमेरिका में रहने के बाद दो साल पहले कनु गांधी ने तय किया कि अब बाकी उम्र अपने देश में ही गुजारेंगे.
इसके लिए इन्हें सबसे मुफीद जगह लगी गुजरात का साबरमती आश्रम, लेकिन वहां पहुंच कर जैसे इनका मोहभंग हो गया. साबरमति आश्रम ही नहीं कनु गांधी को गुजरात से भी शिकायत है. कनु रामदास गांधी कहते हैं, “सोचा था सेवा होगी. साबरमति आश्रम दिखावा करता है. गुजरात की आबो हवा पसंद नहीं आई क्योंकि वो बापू की राह पे नही हैं,
कूछ ऊपर के लोग जो पावर में हैं मैं उनकी बात कर रहा हूँ. हालांकि कनु गांधी प्रधानमंत्री मोदी से काफी प्रभावित हैं और उनसे मिलना भी चाहते हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने अपनी ओर से कोई कोशिश नहीं की है. कनु रामदास गांधी कहते हैं, मोदी को जब सब दुत्कार रहे थे तब मैंने उनका साथ दिया.
मोदी ने सम्पर्क रखने को कहा था पर मैंने प्रयत्न नहीं किया. मैंने उनको बहुत सहारा दिया. उनसे ज़रूर मिलना चाहूंगा. बापू की बात उनको कहूँगा. कनु गांधी इन दिनों अपनी बीमार पत्नी की सेहत को लेकर काफी फिक्रमंद हैं,
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