
कहते हैं दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से होकर जाता है। इसलिए ही 2017 के विधानसभा चुनाव के लिए महीनों पहले तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। सपा जहां सत्ता पर काबिज रहने की जिद्दोजहद में लगी है तो बसपा फिर से सत्ता पर काबिज पर होने के लिए बेताब है।
बीजेपी और कांग्रेस भी यूपी में सरकार बनाने की रेस में लगी है। उधर हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी यूपी में अपनी पैठ जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
जिस तरह ओवैसी को सोशल मीडिया पर मुस्लिम युवाओं का समर्थन मिल रहा है, अगर ओवैसी उसे वोट में तब्दील करने में कामयाब हुए तो प्रदेश की कई सीटों पर जीत तय है।
लेकिन अगर सोशल मीडिया का क्रेज वोटों में नहीं बदला तो हाल बुरा होगा। वहीं अन्य राजनैतिक पार्टियों से जुड़े लोग ओवैसी को बीजेपी का एजेंट करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि ओवैसी के यूपी में दस्तक से मुस्लिम वोट बंट जाएंगे,
जिसका फायदा बीजेपी को होगा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि ओवैसी यूपी में कामयाबी हासिल करते हैं या फिर अन्य राजनीतिक संगठन के लोगों के कयास सही साबित होते हैं।
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