इटली : भ्रष्टाचार कांग्रेस की कमजोर नस है और केंद्र की मोदी सरकार इस मामले में खुशकिस्मत है कि उसे कांग्रेस की इस नस को दबाने का मौका बार-बार मिलता रहता है। ताजा मौका इटली के मिलान की एक अदालत के फैसले से मिला है।
भारत के हाईकोर्ट के समतुल्य इस अदालत ने हालांकि आगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर के सौदे में रिश्वतखोरी के आरोप में अपने देश के अधिकारियों को दंडित किया है, लेकिन उसकी आंच न सिर्फ 2005-07 में भारतीय वायुसेना के प्रमुख रहे एयर मार्शल एसपी त्यागी तक जा रही है बल्कि यूपीए सरकार की संरक्षक और गठबंधन की नेता सोनिया गांधी तक भी इसकी तपिश पहुंच रही है।
यह सौदा 2010 में हुआ पर इसकी तैयारी पहले से हो रही थी। इटली की अदालत ने तो मान लिया है कि अति-विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए खरीदे जाने वाले इस हेलिकॉप्टर के सौदे पर मुहर लगाने के लिए एअर मार्शल त्यागी और भारतीय अफसरों को 1.5 करोड़ डॉलर तक अवैध धन दिया गया।
अदालत ने इन्हीं आरोपों के तहत फिनमेकेनिया कंपनी के प्रमुख गुइसिए ओरसी को दोषी भी पाया है और सजा भी सुनाई है। किंतु इस अंतरराष्ट्रीय घोटाले की भारतीय हकीकत क्या है इस बारे में अभी सिर्फ आरोप और इटली की अदालत का फैसला ही है, भारतीय एजेंसी की कोई स्पष्ट जांच रपट नहीं आई है। इटली की अदालत के फैसले में कहीं तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तो कहीं सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव ऑस्कर फर्नांडीज का जिक्र है और उनके माध्यम से रिश्वत देने का आरोप भी है
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