राहुल से की लंबी मुलाकात, ममता से दूर और कांग्रेस के करीब TMC सांसद दिनेश त्रिवेदी

रेल मंत्री रहते हुए ममता बनर्जी से नाराजगी मोल लेकर यूपीए सरकार में अपनी कुर्सी गंवाने वाले दिनेश त्रिवेदी इन दिनों 'दीदी' से काफी नाराज हैं. दरअसल, दिल्ली में कभी ममता की आवाज कहे जाने वाले दिनेश त्रिवेदी की जगह अब राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ले ली है. सियासी गलियारे में वैसे तो दिनेश की जगह पहले मुकुल रॉय ने ली थी जानाकर बताते हैं कि ममता के निर्देश को डेरेक की आगे बढ़ाते हैं और इस तरह सांसदों को उन्हीं के निर्देशानुसार काम करना होता है.
समझा जा रहा है कि बैरकपुर से सांसद दिनेश त्रिवेदी इस व्यवस्था और व्यवहार से नाखुश हैं और अब पार्टी से छुटकारा चाह रहे हैं. हाल के विधानसभा चुनाव के दौरान भी दिनेश त्रिवेदी ने इशारों-इशारों में अपनी ही पार्टी को निशाने पर ले लिया. वैसे भी रेल मंत्री की कुर्सी से ममता के दबाव में हटने के बाद दिल्ली में ममता की नंबर वन पसंद दिनेश त्रिवेदी अलग थलग पड़ गए थे.
बड़ी मुश्कि‍ल से उनको लोकसभा का टिकट मिल गया और वो जीत गए, लेकिन पार्टी के भीतर के लोग बताते हैं कि ममता की नजर दिनेश पर टेढ़ी ही रही. बताया जाता है कि दिनेश त्रिवेदी अब पार्टी में दिन काट रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने भविष्य के लिए अपने नए ठिकाने की तलाश भी शुरू कर दी है. हाल ही संसद भवन परिसर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी मुलाकात महज संयोग नहीं है.
दिनेश के करीबी सूत्रों के मुताबिक, वो खुद तृणमूल छोड़कर अपनी सांसदी नहीं गंवाना चाहते, इसलिए पार्टी छोड़ने की बजाय यह चाहते हैं कि अगर पार्टी उनके खि‍लाफ एक्शन लेना चाहती है तो ले ले.
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रेल मंत्री रहते हुए ममता बनर्जी से नाराजगी मोल लेकर यूपीए सरकार में अपनी कुर्सी गंवाने वाले दिनेश त्रिवेदी इन दिनों 'दीदी' से काफी नाराज हैं. दरअसल, दिल्ली में कभी ममता की आवाज कहे जाने वाले दिनेश त्रिवेदी की जगह अब राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ले ली है. सियासी गलियारे में वैसे तो दिनेश की जगह पहले मुकुल रॉय ने ली थी जानाकर बताते हैं कि ममता के निर्देश को डेरेक की आगे बढ़ाते हैं और इस तरह सांसदों को उन्हीं के निर्देशानुसार काम करना होता है.
समझा जा रहा है कि बैरकपुर से सांसद दिनेश त्रिवेदी इस व्यवस्था और व्यवहार से नाखुश हैं और अब पार्टी से छुटकारा चाह रहे हैं. हाल के विधानसभा चुनाव के दौरान भी दिनेश त्रिवेदी ने इशारों-इशारों में अपनी ही पार्टी को निशाने पर ले लिया. वैसे भी रेल मंत्री की कुर्सी से ममता के दबाव में हटने के बाद दिल्ली में ममता की नंबर वन पसंद दिनेश त्रिवेदी अलग थलग पड़ गए थे.
बड़ी मुश्कि‍ल से उनको लोकसभा का टिकट मिल गया और वो जीत गए, लेकिन पार्टी के भीतर के लोग बताते हैं कि ममता की नजर दिनेश पर टेढ़ी ही रही. बताया जाता है कि दिनेश त्रिवेदी अब पार्टी में दिन काट रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने भविष्य के लिए अपने नए ठिकाने की तलाश भी शुरू कर दी है. हाल ही संसद भवन परिसर में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी मुलाकात महज संयोग नहीं है.
दिनेश के करीबी सूत्रों के मुताबिक, वो खुद तृणमूल छोड़कर अपनी सांसदी नहीं गंवाना चाहते, इसलिए पार्टी छोड़ने की बजाय यह चाहते हैं कि अगर पार्टी उनके खि‍लाफ एक्शन लेना चाहती है तो ले ले.

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