उत्तराखंड में शक्ति परीक्षण से चौबीस घंटे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगा दी है, जिसमें बागी विधायकों को मतदान से दूर रखा गया है. कोर्ट ने विधायकों राहत देने से इनकार कर दिया है. जबकि उत्तराखंड मामले में अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है.
जाहिर तौर पर अदालत के फैसले से स्टिंग और सिया
सी शह-मात के खेल में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के चेहरे पर रौनक लौट आई है. बता दें कि इससे पहले सोमवार हो ही उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 9 बागी विधायकों की अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद ये मंगलवार को विधानसभा में शक्ति परीक्षण में हिसा नहीं ले पाएंगे.
विधायकों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. एक चुनी हुई सरकार, विपक्ष और सरकार के बागी विधायकों की कुश्ती में चित और पट का ऐसा अनोखा खेल बहुत कम खेला जाता है, जहां हर दिन या दूसरे दिन एक नई सियासी संभावना अपने द्वार खोलती है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तराखंड की 71 सदस्यों वाली विधानसभा में कुल 62 सदस्य रह जाते हैं,
जिनमें से एक स्पीकर हैं यानी शक्ति परीक्षण 61 पर होगा. कांग्रेस को 31 की दरकार है. वो 27 पहले से हैं उन्हें 6 के साथ का पूरा भरोसा है जो यूकेडी, बीएसपी और निर्दलीय हैं. विधायकों की खरीद-फरोख्त के नए आरोप में घिरे हरीश रावत सीबीआई की पूछताछ के लिए सोमवार को दिल्ली नहीं पहुंचे. बताया जा रहा है कि रावत को सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर दिल्ली रवाना होना था, लेकिन वो नहीं आए.
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