इंडियन आर्मी फैसला, नॉन कॉम्बैट सेक्शन में स्टाफ कम करने की तैयारी

नई दिल्ली. इंडियन आर्मी नॉन कॉम्बैट सेक्शन में स्टाफ कम करने जा रही है। आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक टीम बनाकर उसे स्टडी करने के ऑर्डर दिए हैं। इसकी वजह खर्च कम करना और आर्मी को सही शेप में लाना है। उनसे पहले डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर भी आर्मी का साइज घटाने की बात कह चुके हैं। 
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार आर्मी चीफ सुहाग ने एक सीनियर मोस्ट जनरल को अगस्त के आखिरी तक रिकमंडेशन देने को कहा है, इसमें कहा गया है कि आर्मी में कॉ
म्बैट और नॉन कॉम्बैट जवानों का का रेश्यो सही होना चाहिए। स्टडी में सबसे ज्यादा फोकस इस बात पर रहेगा कि लॉजिस्टिक सपोर्ट को कम करके भी उसका बेहतर इस्तेमाल कॉम्बैट फोर्स के लिए कैसे किया जा सकता है। इसके अलावा मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम की भी जांच की जाएगी। कम्युनिकेशन स्किल्स पर फोकस ज्यादा किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार आर्मी स्टाफ कम करने की कवायद का मकसद खर्च कम करके काबिलियत बढ़ाना है। माना जा रहा है कि इस बारे में रोडमैप तीन महीने में तैयार कर लिया जाएगा। लेकिन यह काम आसान नहीं है। रिटायर्ड जनरल फिलिप कैम्पोस का कहना है कि कॉम्बैट और नॉन कॉम्बैट स्टाफ के रेश्यो को समझना और सेट करना आसान काम नहीं है।
उनके अनुसार आर्मी की एक डिवीजन में 14 हजार जवान होते हैं और उन्हें सपोर्ट देने के लिए 3 हजार लॉजिस्टक स्टाफ रहता है। इंडियन आर्मी में इस वक्त 10 लाख 2 हजार स्टाफ है। खास बात ये है कि 49, 631 अफसर रखने की मंजूरी है, लेकिन फिलहाल 9,106 अफसर कम हैं। कैम्पोस कहते हैं कि अफसरों के रोल को ठीक किया जाए तो रेश्यो बेहतर किया जा सकता है।
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नई दिल्ली. इंडियन आर्मी नॉन कॉम्बैट सेक्शन में स्टाफ कम करने जा रही है। आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने एक टीम बनाकर उसे स्टडी करने के ऑर्डर दिए हैं। इसकी वजह खर्च कम करना और आर्मी को सही शेप में लाना है। उनसे पहले डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर भी आर्मी का साइज घटाने की बात कह चुके हैं। 
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार आर्मी चीफ सुहाग ने एक सीनियर मोस्ट जनरल को अगस्त के आखिरी तक रिकमंडेशन देने को कहा है, इसमें कहा गया है कि आर्मी में कॉ
म्बैट और नॉन कॉम्बैट जवानों का का रेश्यो सही होना चाहिए। स्टडी में सबसे ज्यादा फोकस इस बात पर रहेगा कि लॉजिस्टिक सपोर्ट को कम करके भी उसका बेहतर इस्तेमाल कॉम्बैट फोर्स के लिए कैसे किया जा सकता है। इसके अलावा मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम की भी जांच की जाएगी। कम्युनिकेशन स्किल्स पर फोकस ज्यादा किया जाएगा।

जानकारी के अनुसार आर्मी स्टाफ कम करने की कवायद का मकसद खर्च कम करके काबिलियत बढ़ाना है। माना जा रहा है कि इस बारे में रोडमैप तीन महीने में तैयार कर लिया जाएगा। लेकिन यह काम आसान नहीं है। रिटायर्ड जनरल फिलिप कैम्पोस का कहना है कि कॉम्बैट और नॉन कॉम्बैट स्टाफ के रेश्यो को समझना और सेट करना आसान काम नहीं है।
उनके अनुसार आर्मी की एक डिवीजन में 14 हजार जवान होते हैं और उन्हें सपोर्ट देने के लिए 3 हजार लॉजिस्टक स्टाफ रहता है। इंडियन आर्मी में इस वक्त 10 लाख 2 हजार स्टाफ है। खास बात ये है कि 49, 631 अफसर रखने की मंजूरी है, लेकिन फिलहाल 9,106 अफसर कम हैं। कैम्पोस कहते हैं कि अफसरों के रोल को ठीक किया जाए तो रेश्यो बेहतर किया जा सकता है।

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