आप को कैसा लगेगा जब आपके बालक आपको छोड़ जाएं और अकेले रहते हुए आपको हर महीने 300 रुपए की पेंशन के लिए दोनों हाथ और दोनों पैर से घिसट घिसट कर जाना पड़े? शायद यह सोचना ही हम जैसे लोगो के लिए भयावह है परंतु भारत के राज्य उड़ीसा में एक महिला इसी तरह कर पर मजबूर है।
अनुगुल ज़िले के ग्राम कडलीमुण्डा की रहने वाली 65 वर्षीय वृद्धा रुदाना देहुरी शारीरिक तौर से विकलांग और अकेली है। उनके इस मुसीबत, अकेलेपन और तंगहाल ज़िन्दगी में उनका एकमात्र सहारा वो 300 रुपया महाना पेंशन है जो सरकार द्वारा उन्हें मिलती है लेकिन इस पेंशन के प्राप्त करने के लिए भी इनको एड़ी चोटी का दम लगाना पड़ता है। रुदाना जी को हर महीने 2 किलोमीटर दूर नुनुकपासी पंचायत कार्यालय इसी तरह चल कर अपनी पेशन लेने जाना पड़ता है।
विकलांग, बिना किसी रिश्तेदार और अपने बच्चों द्वारा छोड़ दी गयी इस माई के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है। 65 वर्ष की यह महिला पंचायत से भी गुहार लगा लगा कर थक चुकी है कि किसी के द्वारा यह 300 रुपया घर तक पहुँचवा दें।सब कलेक्टर ने वही घिस पिटा रटा रटाया आस्वाशन दे दिया है कि " देखिये मामले को संज्ञान में लिया जा चुका है, अति शीघ्र कार्यवाही होगी"
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