डॉ माथुर ने किया दावा, मेनका गांधी को अपने साथ राजनीति में रखना चाहती थी इंदिरा


नई दिल्ली : इंदिरा गांधी के निजी चिकित्सक के पी माथुर ने कई अहम खुलासे किए हैं. अपनी नयी किताब द अनसीन इंदिरा गांधी में उन्होंने मेनका गांधी को लेकर बातें कहीं हैं. डाक्टर माथुर ने दावा किया है कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने पुत्र संजय गांधी का निधन होने के बाद चाहती थीं कि उनकी छोटी बहू राजनीति में उनकी मदद करे. लेकिन मेनका ऐसे लोगों के साथ थीं जो राजीव के विरोधी थे.
माथुर ने लिखा है कि हालांकि दिवंगत प्रधानमंत्री का सोनिया के प्रति अनुराग अधिक था लेकिन संजय की मौत के बाद उनका झुकाव मेनका की ओर भी हो गया था. किताब में आगे दावा किया गया है
इंदिरा का झुकाव मेनका को उनके करीब नहीं ला पाया. सोनिया आम तौर पर घरेलू मामलों का जिम्मा संभालती थीं जबकि राजनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री मेनका के विचारों पर गौर करती थीं क्योंकि मेनका की राजनीतिक समझ अच्छी थी. सफदरजंग अस्पताल के पूर्व चिकित्सक माथुर ने करीब 20 साल तक दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चिकित्सक के तौर पर काम किया.
किताब में दावा किया गया है कि संजय गांधी के निधन के कुछ ही साल बाद मेनका ने हालात से सामंजस्य स्थापित करने के बजाय प्रधानमंत्री आवास छोड़ दिया. डॉ माथुर ने लिखा है संजय के निधन के बाद इंदिरा का मेनका के प्रति रवैया बेहद नर्म हो गया.
किताब में दावा किया गया है ‘लेकिन मेनका अक्सर उन लोगों के साथ रहीं जो राजीव के विरोधी थे. इसके चलते संजय विचार मंच नामक संगठन बना जो संजय गांधी की विचारधारा को आगे ले जाना चाहता था. मेनका और उनके वह साथी इस मंच का हिस्सा थे.
डॉ माथुर ने किताब में संजय विचार मंच के उस सम्मेलन का जिक्र किया है जो लखनउ में हुआ था. उनके अनुसार, इंदिरा तब विदेश दौरे पर थीं और वहां से उन्होंने मेनका को संदेश भेजा था कि वह इस सम्मेलन को संबोधित न करें. लेकिन मेनका नहीं मानीं और सम्मेलन को संबोधित किया.
किताब के अनुसार राजीव और सोनिया के विवाह के बाद पूर्व प्रधानमंत्री और सोनिया के बीच तालमेल स्थापित होते समय नहीं लगा. ‘सोनिया इंदिरा को बहुत सम्मान देती थीं और इंदिरा सोनिया को बहुत प्यार करती थीं. सोनिया ने जल्द ही घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लीं.
सवालों के जवाब भी नहीं दिए. उनका पूरा ध्यान उनके बिस्तर के पास मेज पर रखे टेलीफोन पर था. डॉ माथुर के अनुसार, वहां एक नोटबुक रखी थी जिस पर गायत्री मंत्र लिखा हुआ था. किताब में आपातकाल का भी जिक्र है. देश में 25 जून 1975 को इमरजेन्सी लगाई गई थी और हजारों लोग गिरफ्तार कर जेल में डाल दिए गए थे.
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नई दिल्ली : इंदिरा गांधी के निजी चिकित्सक के पी माथुर ने कई अहम खुलासे किए हैं. अपनी नयी किताब द अनसीन इंदिरा गांधी में उन्होंने मेनका गांधी को लेकर बातें कहीं हैं. डाक्टर माथुर ने दावा किया है कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने पुत्र संजय गांधी का निधन होने के बाद चाहती थीं कि उनकी छोटी बहू राजनीति में उनकी मदद करे. लेकिन मेनका ऐसे लोगों के साथ थीं जो राजीव के विरोधी थे.
माथुर ने लिखा है कि हालांकि दिवंगत प्रधानमंत्री का सोनिया के प्रति अनुराग अधिक था लेकिन संजय की मौत के बाद उनका झुकाव मेनका की ओर भी हो गया था. किताब में आगे दावा किया गया है
इंदिरा का झुकाव मेनका को उनके करीब नहीं ला पाया. सोनिया आम तौर पर घरेलू मामलों का जिम्मा संभालती थीं जबकि राजनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री मेनका के विचारों पर गौर करती थीं क्योंकि मेनका की राजनीतिक समझ अच्छी थी. सफदरजंग अस्पताल के पूर्व चिकित्सक माथुर ने करीब 20 साल तक दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चिकित्सक के तौर पर काम किया.
किताब में दावा किया गया है कि संजय गांधी के निधन के कुछ ही साल बाद मेनका ने हालात से सामंजस्य स्थापित करने के बजाय प्रधानमंत्री आवास छोड़ दिया. डॉ माथुर ने लिखा है संजय के निधन के बाद इंदिरा का मेनका के प्रति रवैया बेहद नर्म हो गया.
किताब में दावा किया गया है ‘लेकिन मेनका अक्सर उन लोगों के साथ रहीं जो राजीव के विरोधी थे. इसके चलते संजय विचार मंच नामक संगठन बना जो संजय गांधी की विचारधारा को आगे ले जाना चाहता था. मेनका और उनके वह साथी इस मंच का हिस्सा थे.
डॉ माथुर ने किताब में संजय विचार मंच के उस सम्मेलन का जिक्र किया है जो लखनउ में हुआ था. उनके अनुसार, इंदिरा तब विदेश दौरे पर थीं और वहां से उन्होंने मेनका को संदेश भेजा था कि वह इस सम्मेलन को संबोधित न करें. लेकिन मेनका नहीं मानीं और सम्मेलन को संबोधित किया.
किताब के अनुसार राजीव और सोनिया के विवाह के बाद पूर्व प्रधानमंत्री और सोनिया के बीच तालमेल स्थापित होते समय नहीं लगा. ‘सोनिया इंदिरा को बहुत सम्मान देती थीं और इंदिरा सोनिया को बहुत प्यार करती थीं. सोनिया ने जल्द ही घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लीं.
सवालों के जवाब भी नहीं दिए. उनका पूरा ध्यान उनके बिस्तर के पास मेज पर रखे टेलीफोन पर था. डॉ माथुर के अनुसार, वहां एक नोटबुक रखी थी जिस पर गायत्री मंत्र लिखा हुआ था. किताब में आपातकाल का भी जिक्र है. देश में 25 जून 1975 को इमरजेन्सी लगाई गई थी और हजारों लोग गिरफ्तार कर जेल में डाल दिए गए थे.

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