जानिये - कॉलर खड़े करना अजहरुद्दीन की स्टाइल नहीं एक बड़ी मजबूरी थी

जब वो कॉलर उठाकर, कंधे ऊपर करके, सफेद हेलमेट पहनकर मैदान में उतरते थे तो फैन्स और लड़कियां चिल्लाती थी अज्जू.. अज्जू..अज्जू.....जी हां, हम बात कर रहे हैं ऐसे भारत के ऐसे क्रिकेट कप्तान की जिसने भारतीय क्रिकेट टीम का उस दौर में साथ दिया जब अंतर्राष्ट्रीय मंच में भारत कोई ब्रांड नहीं था. उनसे पहले सिर्फ टीम इंडिया के पास एक ही उपलब्धि थी वह यह कि उसने 1983 का विश्वकप जीता था. लेकिन क्रिकेट विशेषज्ञ उसको एक तुक्का मानते थे. अजहर के दौर में वह कामयाबी भी धीरे-धीरे धूमिल होने लगी थी. लेकिन 63 गेंदों में शतक मारकर पूरी दुनिया को चौंका देने वाले इस भारत के इस कलात्मक बल्लेबाज के पास खूबिेयां भी थीं तो उससे कहीं ज्यादा विवाद भी थे. दौर कैसा भी रहा हो अजहर के कॉलर हमेशा खड़े रहे.Mohammad-Azharuddin-715x410
उनके आलोचक इसे 'हरकत' कहते और मानते थे कि इससे जाहिर होता है कि अजहर कितने घमंडी हैं. लेकिन अगर बात करें अजहर की निजी जिंदगी के बारे में तो अतीत में उनके पास घमंड करने लायक कुछ भी नहीं था. 53 साल पहले हैदराबाद के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे अजहर के पास सिर्फ एक ही कला थी कि वह फास्ट बॉलिंग के दौर में कलात्मक बैटिंग करना जानते थे. 1984-85 में करियर की शुरुआती पहले तीन टेस्ट मैचों में शतक मारने वाले अजहर ने विश्वकप क्रिकेट में ऐसी छाप छोड़ी थी कि दोबारा पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा.
अपनी स्टाइल और पर्सनलिटी के लिए मशहूर हो चुके अजहर के पास अब पूरा मौका था कि मैदान में वह कॉलर खड़े सकें और दुनिया के बाकी क्रिकेटरों को अपनी ठसक दिखा सकें. लेकिन उनके कॉलर खड़े करने के पीछे क्या थी वजह इसको जानकर आप भी चौंक जाएंगे. दरअसल अजहर के साथ यही एक दिक्कत थी कि वह जैसा दिखते हैं अंदर से उस तरह बिलकुल नहीं हैं. मैदान में कॉलर खड़े करने के पीछे न कोई ठसक थी और न कोई घमंड.
रेडियो एफएम 104 के साथ बातचीत में अजहर ने बताया कि उनके गले की त्वचा में धूप की वजह से इन्फेक्शन हो जाता था और उनके दौर में टेस्ट क्रिकेट ज्यादा खेला जाता था जिसमें पूरे दिन धूप में ही रहना पड़ता था. जिससे बचने के लिए वह अपने कॉलर खड़े कर गर्दन को सीधे धूप से बचाने की कोशिश किया करते थे. अजहर भी मानते हैं उनकी यह आदत धीरे-धीरे फैशन बन गई और ज्यादातर क्रिकेटर इसे अपनाने लगे.former-team-india-captain-mohammad-azharuddin
अजहर कि जिस आदत को लोगों ने उनका घमंड समझ लिया था उसके पीछे की वजह कुछ और ही थी. हालांकि मैच फिक्सिंग के आरोपों से लेकर, तलाक और संगीता बिजलानी से शादी तक और फिर तलाक कई ऐसी बातें हैं जो भले ही अजहर को परेशान करती हों लेकिन जिनका जवाब खुद अज्जू ही दे सकते हैं. हालांकि फिक्सिंग के आरोपों पर कोर्ट से वह बरी हो चुके हैं. अब वह राजनीति में हैं. एक बार यूपी की मुरादाबाद सीट से सांसद रह चुके हैं. आजकल इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि उनके ऊपर बनी बायोपिक अजहर रिलीज हो चुकी है. जिसमें उनका रोल इमरान हाशमी निभा रहे हैं.
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जब वो कॉलर उठाकर, कंधे ऊपर करके, सफेद हेलमेट पहनकर मैदान में उतरते थे तो फैन्स और लड़कियां चिल्लाती थी अज्जू.. अज्जू..अज्जू.....जी हां, हम बात कर रहे हैं ऐसे भारत के ऐसे क्रिकेट कप्तान की जिसने भारतीय क्रिकेट टीम का उस दौर में साथ दिया जब अंतर्राष्ट्रीय मंच में भारत कोई ब्रांड नहीं था. उनसे पहले सिर्फ टीम इंडिया के पास एक ही उपलब्धि थी वह यह कि उसने 1983 का विश्वकप जीता था. लेकिन क्रिकेट विशेषज्ञ उसको एक तुक्का मानते थे. अजहर के दौर में वह कामयाबी भी धीरे-धीरे धूमिल होने लगी थी. लेकिन 63 गेंदों में शतक मारकर पूरी दुनिया को चौंका देने वाले इस भारत के इस कलात्मक बल्लेबाज के पास खूबिेयां भी थीं तो उससे कहीं ज्यादा विवाद भी थे. दौर कैसा भी रहा हो अजहर के कॉलर हमेशा खड़े रहे.Mohammad-Azharuddin-715x410
उनके आलोचक इसे 'हरकत' कहते और मानते थे कि इससे जाहिर होता है कि अजहर कितने घमंडी हैं. लेकिन अगर बात करें अजहर की निजी जिंदगी के बारे में तो अतीत में उनके पास घमंड करने लायक कुछ भी नहीं था. 53 साल पहले हैदराबाद के मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे अजहर के पास सिर्फ एक ही कला थी कि वह फास्ट बॉलिंग के दौर में कलात्मक बैटिंग करना जानते थे. 1984-85 में करियर की शुरुआती पहले तीन टेस्ट मैचों में शतक मारने वाले अजहर ने विश्वकप क्रिकेट में ऐसी छाप छोड़ी थी कि दोबारा पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा.
अपनी स्टाइल और पर्सनलिटी के लिए मशहूर हो चुके अजहर के पास अब पूरा मौका था कि मैदान में वह कॉलर खड़े सकें और दुनिया के बाकी क्रिकेटरों को अपनी ठसक दिखा सकें. लेकिन उनके कॉलर खड़े करने के पीछे क्या थी वजह इसको जानकर आप भी चौंक जाएंगे. दरअसल अजहर के साथ यही एक दिक्कत थी कि वह जैसा दिखते हैं अंदर से उस तरह बिलकुल नहीं हैं. मैदान में कॉलर खड़े करने के पीछे न कोई ठसक थी और न कोई घमंड.
रेडियो एफएम 104 के साथ बातचीत में अजहर ने बताया कि उनके गले की त्वचा में धूप की वजह से इन्फेक्शन हो जाता था और उनके दौर में टेस्ट क्रिकेट ज्यादा खेला जाता था जिसमें पूरे दिन धूप में ही रहना पड़ता था. जिससे बचने के लिए वह अपने कॉलर खड़े कर गर्दन को सीधे धूप से बचाने की कोशिश किया करते थे. अजहर भी मानते हैं उनकी यह आदत धीरे-धीरे फैशन बन गई और ज्यादातर क्रिकेटर इसे अपनाने लगे.former-team-india-captain-mohammad-azharuddin
अजहर कि जिस आदत को लोगों ने उनका घमंड समझ लिया था उसके पीछे की वजह कुछ और ही थी. हालांकि मैच फिक्सिंग के आरोपों से लेकर, तलाक और संगीता बिजलानी से शादी तक और फिर तलाक कई ऐसी बातें हैं जो भले ही अजहर को परेशान करती हों लेकिन जिनका जवाब खुद अज्जू ही दे सकते हैं. हालांकि फिक्सिंग के आरोपों पर कोर्ट से वह बरी हो चुके हैं. अब वह राजनीति में हैं. एक बार यूपी की मुरादाबाद सीट से सांसद रह चुके हैं. आजकल इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि उनके ऊपर बनी बायोपिक अजहर रिलीज हो चुकी है. जिसमें उनका रोल इमरान हाशमी निभा रहे हैं.

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