
लगातार बढ़ रही महगाईं और परेशान होती जनता, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू करने के बाद संभावित महंगाई से लड़ने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत सरकार ने अगले पांच साल के लिए महंगाई या मुद्रास्फीति को चार फीसदी -दो फीसदी ऊपर या नीचे- के दायरे में रखने के लक्ष्य तय किया है।
मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में बताया है कि जीएसटी लागू होने के बाद कुछ समय के लिए महंगाई में तेजी का रुख देखने को मिल सकता है। अगर यह मानकर चलें कि जीएसटी के तहत कर की दरें 12, 15 और 22 फीसदी तय की जाती हैं तो उनसे महंगाई के मोर्चे पर 0.3 फीसदी से लेकर 0.7 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च ने भी अनुमान लगाया है कि जीएसटी के तहत 18 फीसदी की दर से कर लगाए जाने पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में 0.2 फीसदी की तेजी जबकि 22 फीसदी होने पर 0.7 फीसदी की ऊंची वृद्धि हो सकती है। हालांकि, दोनों ही बाजार विश्लेषण संस्थानों की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मुद्रास्फीति में तेजी का दौर कुछ समय तक ही रहेगा
इस लक्ष्य को रिजर्व बैंक के साथ मौद्रिक नीति रूप रेखा करार के तहत तय किया गया है। सरकार ने मुद्रास्फीति का जो दायरा तय किया है वह मार्च 2021 तक की अवधि के लिए है।
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