
जमीयत उलेमा हिन्द की अपील पर न्यूनतम अनन्त एक दवे और न्यायमूर्ति बी इन कारिया की पीठ ने पिछली 22 जुलाई को जिन ग्यारह लोगो को दोषी करार दिया था. इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट की खंडपीठ ने महासेन ज़िले में दो मुसलमानो को बर्बर रूप से जिन्दा जलने वाले ग्यारह अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
यह घटना गुजरात दंगो के बिलकुल शुरू में 3 मार्च 2002 को हुई जबकि यह दोनों एक हिन्दू पडोसी के घर छिपे थे, दंगाई ने घर का दरवाज़ा तोड़कर न केवल उन दोनों को खींच कर बाहर निकल और उन पर मिटटी का तेल छिडक कर आग लगाई। बल्कि पड़ोसियों के साथ मार पीट भी की.
वही दूसरी और जमीअत उलेमाए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह न्याय की जीत है. मौलाना मदनी ने अल्लाह का शुक्र ऐडा करते हुए कहा है कि शांति के लिए दोषियों को सजा दिलाना बेकसूरों को बचने के अधिक महत्वपूर्ण है. उन्होंने ज़िंदा जलने की इस घटना को अत्यंत बर्बर करार देते हुए कहा है. कि ऐसे अपराधियो को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिय्ये ताकि दूसरे सबक हासिल करें
जमीयत उलेमाए हिन्द के सचिव मोहलत हकीमुद्दीन कासमी जो मौलाना मदनी के निर्देश पर गुजरात दंगा पीड़ितों के पुरनिवास आदि की देखभाल करते है उन्होंने भी इस फैसले पर ख़ुशी जताई है. मौलाना हकीम उद्दीन ने बताया की बीस नगर, दप्ले दरवाज़ा केस,गोधरा ट्रेन दुर्घटना केस आदि में जमीयत की कानूनी संघर्ष सफल रही है और जमीयत बराबर यहाँ काम कर रही है
0 comments:
Post a Comment