
जयपुर: मानसून ने जयपुर मेट्रो सिटी का मेकअप धो दिया है। जो चेहरा निकला वो बेचैनी पैदा करता है। घर से निकलते ही शुरू होने वाली कई दिक्कतों को एक साथ सहन कर रहे शहर के लोगों की स्थिति हिंगोनिया गोशाला की उन गायों से जरा भी अलग नहीं, जो वहीं दलदल में हर रोज दफन हो रही हैं।
जहां पिछले तीन रोज में 200 गायें दम तोड़ चुकीं। यहां 65 ट्रॉली गोबर रोजाना निकलता है। दो माह से बाड़ों से गोबर नहीं उठा है। इसे ढकने के लिए जयपुर नगर निगम ने मिट्टी डलवा दी, जो गोबर के साथ मिलकर दलदल बन गई है। गोशाला में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सिविल वर्क हुए। बाड़े व पक्के शेड्स बनाए गए लेकिन पानी निकलने की व्यवस्था नहीं की।
सड़कों का पानी बाड़ों में भर रहा है। कई गो समितियां हिंगोनिया में पैसा लगाकर गो सेवा करना चाहती है, लेकिन नगर निगम परमिशन नहीं दे रहा। सेवा करने वाले गोसवकों को गोशाला में नहीं जाने देते। आकड़ो के अनुसार 1200 गायों की मौत हर महीने, 40 गायें रोजाना मर रही। 5 फीट तक दलदल हर बाड़े में 40 गायें रोज आईसीयू जाती हैं। 60 कर्मचारी काम पर हैं, 199 को वेतन नहीं मिला
हाईकोर्ट ने हिंगोनिया गोशाला में गायों की मौत पर एसओजी के आईजी दिनेश एमएन से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने दिनेश एमएन से कहा कि नगर निगम के किसी अफसर ने बाेवाइन एक्ट के तहत क्राइम किया है और इन्हें इसके लिए पुलिस अफसर या अन्य कानूनी प्राधिकरण की जरूरत है तो वे उसे ले सकते हैं।
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