राज्यसभा में पेश हुआ जीएसटी बिल,चिदंबरम बोले, बिल में सुधार चाहते थे, विरोध में नहीं थे



सुधार की दिशा में अहम माना जा रहा गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) बिल राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। 122वें संविधान संशोधन विधेयक को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऊपरी सदन में रखा। एनडीए सरकार काफी दिनों की कोशिशों के बाद जीएसटी बिल पर विपक्षी दलों को साथ लाने में कामयाब हुई है। पढ़ें, संसद में क्या बहस हो रही है...

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा  रूल ऑफ लॉ के तहत विवाद होने पर मेकनिजम तैयार नहीं किया जा सकता, बल्कि विवाद से संबंधित पक्षकारों को पहले से पता होना चाहिए कि कोई संस्था उसपर नजर रख रही है। सरकार ने राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाने की अनुमति बिल से वापस ले ली है। इसका मैं स्वागत करता हूं।

आगे उन्होंने कहा कि बिल में अब भी कई खामियां। कंसोलिडेटेड फंड पर सरकार ने सफाई नहीं दी। सबसे पहले 2011 में प्रणब मुखर्जी लेकर आए थे, लेकिन बीजेपी ने इसका विरोध किया था। ०१४ में जब ये आता तो हमने कहा कि और परफेक्ट बिल चाहिए। यह मुद्दा वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री का ही नहीं, बल्कि देश की जनता से है।

गुलाम नबी आजाद और तमाम राजनीतिक दलों के सांसदों का आभार अदा करता हूं। इस मामले पर आमराय बनाना बेहद जरूरी था।  एक समान टैक्स के बाद देश में यूनिफॉर्म मार्केट बन जाएगा और इकॉनमी बेहतर होगी। अभी अलग-अलग राज्य सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती हैं, अब ये सभी टैक्स एक में ही शामिल हो जाएंगे।

माना जा रहा है कि इस बिल के बाद 'टैक्स पर टैक्स' लगने की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी और आवश्यक वस्तुओं के दाम कम होंगे। उद्योग जगत बेसब्री से इस बिल के पास होने का इंतजार कर रहा है। 


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सुधार की दिशा में अहम माना जा रहा गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) बिल राज्यसभा में पेश कर दिया गया है। 122वें संविधान संशोधन विधेयक को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऊपरी सदन में रखा। एनडीए सरकार काफी दिनों की कोशिशों के बाद जीएसटी बिल पर विपक्षी दलों को साथ लाने में कामयाब हुई है। पढ़ें, संसद में क्या बहस हो रही है...

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा  रूल ऑफ लॉ के तहत विवाद होने पर मेकनिजम तैयार नहीं किया जा सकता, बल्कि विवाद से संबंधित पक्षकारों को पहले से पता होना चाहिए कि कोई संस्था उसपर नजर रख रही है। सरकार ने राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाने की अनुमति बिल से वापस ले ली है। इसका मैं स्वागत करता हूं।

आगे उन्होंने कहा कि बिल में अब भी कई खामियां। कंसोलिडेटेड फंड पर सरकार ने सफाई नहीं दी। सबसे पहले 2011 में प्रणब मुखर्जी लेकर आए थे, लेकिन बीजेपी ने इसका विरोध किया था। ०१४ में जब ये आता तो हमने कहा कि और परफेक्ट बिल चाहिए। यह मुद्दा वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री का ही नहीं, बल्कि देश की जनता से है।

गुलाम नबी आजाद और तमाम राजनीतिक दलों के सांसदों का आभार अदा करता हूं। इस मामले पर आमराय बनाना बेहद जरूरी था।  एक समान टैक्स के बाद देश में यूनिफॉर्म मार्केट बन जाएगा और इकॉनमी बेहतर होगी। अभी अलग-अलग राज्य सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती हैं, अब ये सभी टैक्स एक में ही शामिल हो जाएंगे।

माना जा रहा है कि इस बिल के बाद 'टैक्स पर टैक्स' लगने की प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी और आवश्यक वस्तुओं के दाम कम होंगे। उद्योग जगत बेसब्री से इस बिल के पास होने का इंतजार कर रहा है। 



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