इजरायल : 12 वर्ष के बच्‍चों को भी मिलेगी आतंकवाद की सजा


येरूशलम। इजरायल की संसद ने एक विवादास्पद बिल पास किया है। इस बिल के तहत आतंकवाद के मामलों में अब 12 साल के बच्चों को भी जेल की सजा दी जाएगी। इस कानून को 'यूथ बिल' कहा गया है और इसके कानून बनने के बाद सरकार 12 वर्ष के बच्चों को भी वयस्कों की तरह कड़ी सजा देगा। बिल में हत्या, हत्या की कोशिश और नरसंहार के मामलों के दोषी बच्चों को कोई रियायत न देने का प्रावधान है।
इजरायल के नेताओं के अनुसार हाल के समय में बढ़े हमलों के बाद और ज्‍यादा आक्रामक होने की जरूरत थी। प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के नेता अनात बेर्को के मुताबिक, बिल उनके लिए है जिनके दिल पर चाकू मारकर उन्हें मौत के घाट उतारा गया, इससे फर्क नहीं पड़ता कि बच्चा 12 का है या 15 का।
ज्यादातर युवाओं की मौत हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान इजरायली सेना की गोली से हुई। इजरायल की मानवाधिकार संस्था बीतस्लेम ने इस बिल की आलोचना की है। संस्था ने एक बयान जारी कर कहा है कि जेल के बजाए इजरायल को बच्‍चों को स्कूल भेजना चाहिए था। यहां वे बिना किसी कब्जे के सम्मान और आजादी के साथ जीना सीखते।
अक्टूबर 2015 से इजरायल और फलीस्तीन में हिंसक हमलों की बाढ़ सी आई है। जगह-जगह इजरायल के नागरिकों पर चाकुओं से हमले हुए हैं और ज्यादातर मामलों में हमलावर नाबालिग थे। अक्टूबर 2015 से अब तक इजरायल 219 फलीस्तीनियों और 34 इजरायली समेत चार विदेशी नागरिक मारे जा चुके हैं।


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येरूशलम। इजरायल की संसद ने एक विवादास्पद बिल पास किया है। इस बिल के तहत आतंकवाद के मामलों में अब 12 साल के बच्चों को भी जेल की सजा दी जाएगी। इस कानून को 'यूथ बिल' कहा गया है और इसके कानून बनने के बाद सरकार 12 वर्ष के बच्चों को भी वयस्कों की तरह कड़ी सजा देगा। बिल में हत्या, हत्या की कोशिश और नरसंहार के मामलों के दोषी बच्चों को कोई रियायत न देने का प्रावधान है।
इजरायल के नेताओं के अनुसार हाल के समय में बढ़े हमलों के बाद और ज्‍यादा आक्रामक होने की जरूरत थी। प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के नेता अनात बेर्को के मुताबिक, बिल उनके लिए है जिनके दिल पर चाकू मारकर उन्हें मौत के घाट उतारा गया, इससे फर्क नहीं पड़ता कि बच्चा 12 का है या 15 का।
ज्यादातर युवाओं की मौत हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान इजरायली सेना की गोली से हुई। इजरायल की मानवाधिकार संस्था बीतस्लेम ने इस बिल की आलोचना की है। संस्था ने एक बयान जारी कर कहा है कि जेल के बजाए इजरायल को बच्‍चों को स्कूल भेजना चाहिए था। यहां वे बिना किसी कब्जे के सम्मान और आजादी के साथ जीना सीखते।
अक्टूबर 2015 से इजरायल और फलीस्तीन में हिंसक हमलों की बाढ़ सी आई है। जगह-जगह इजरायल के नागरिकों पर चाकुओं से हमले हुए हैं और ज्यादातर मामलों में हमलावर नाबालिग थे। अक्टूबर 2015 से अब तक इजरायल 219 फलीस्तीनियों और 34 इजरायली समेत चार विदेशी नागरिक मारे जा चुके हैं।



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