अगर आप स्टूडेंट है तो जरूर पढ़े ये खबर

इलाहाबाद। यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स व टीचर्स के लिए ये गुड न्यूज है। यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी का समय बढ़वाने के लिए यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने पुरानी किताबों को ऑनलाइन करने का फैसला किया है। इसके साथ ही यहां एक डिजिटल लाइब्रेरी लैब की स्थापना करने की भी बात बताई गई है।  कई ऐसी दुर्लभ किताबें भी हैं। जिनके लेखक काफी पुराने हैं और इन किताबों को सहेजकर रखना बड़ा चैलेंज बन चुका है। लम्बे समय से इस बात की जरुरत महसूस की जा रही थी कि इन पुरानी किताबों को ऑनलाइन किया जाए। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। आर्ट फैकेल्टी स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में एक डिजिटल लाइब्रेरी लैब की स्थापना के लिए स्थान का चयन कर लिया गया है। जहां इन सभी किताबों को ऑनलाइन किया जाएगा। इसके लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. आरएल हांगलू की ओर से भी डायरेक्शन दिया गया है। इससे स्टूडेंट्स और टीचर्स अपने घर से ही पुरानी और ऐतिहासिक किताबों का लाभ उठा सकेंगे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के साथ ही आर्ट, साइंस, कॉमर्स और लॉ फैकेल्टी स्थित अलग- अलग विभागों की लाइब्रेरी में मौजूद ज्यादातर किताबें काफी पुरानी हो चुकी हैं। कुछ किताबें नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई है। किताबों को दीमक चाट रहे हैं।

न्यू सेशन 2016- 17 में इस काम को शूरु कर दिया जाएगा
सेंट्रल लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन बीके सिंह ने बताया कि डिजिटल लाइब्रेरी में स्कैनर और कम्प्यूटर लगवाए जाने का काम जल्द पूरा कर दिया जाएगा। इस काम को पूरा करने के लिए सर्वर भी लगवाया जाएगा। उम्मीद है कि न्यू सेशन 2016- 17 में इस काम को शूरु कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि करेंट में सेंट्रल लाइब्रेरी में सात लाख से ज्यादा बुक्स हैं। जिनमें करीब डेढ़ हजार सॉफ्ट कापी हैं। इसके अलावा तकरीबन 26 हजार ऑनलाइन जनरल हैं। लाईब्रेरी में व‌र्ल्ड के 17 इम्पार्टेट इलेक्ट्रानिक डाटाबेस हैं। वहीं एक डाटाबेस ऐसा भी है जिसमें देशभर की 80 लाख थिसिस को ऑनलाइन देखा जा सकता है। यह सुविधा कंट्री की चुनिंदा लाइब्रेरी में ही उपलब्ध है।
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इलाहाबाद। यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स व टीचर्स के लिए ये गुड न्यूज है। यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी का समय बढ़वाने के लिए यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने पुरानी किताबों को ऑनलाइन करने का फैसला किया है। इसके साथ ही यहां एक डिजिटल लाइब्रेरी लैब की स्थापना करने की भी बात बताई गई है।  कई ऐसी दुर्लभ किताबें भी हैं। जिनके लेखक काफी पुराने हैं और इन किताबों को सहेजकर रखना बड़ा चैलेंज बन चुका है। लम्बे समय से इस बात की जरुरत महसूस की जा रही थी कि इन पुरानी किताबों को ऑनलाइन किया जाए। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। आर्ट फैकेल्टी स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में एक डिजिटल लाइब्रेरी लैब की स्थापना के लिए स्थान का चयन कर लिया गया है। जहां इन सभी किताबों को ऑनलाइन किया जाएगा। इसके लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. आरएल हांगलू की ओर से भी डायरेक्शन दिया गया है। इससे स्टूडेंट्स और टीचर्स अपने घर से ही पुरानी और ऐतिहासिक किताबों का लाभ उठा सकेंगे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की सेंट्रल लाइब्रेरी के साथ ही आर्ट, साइंस, कॉमर्स और लॉ फैकेल्टी स्थित अलग- अलग विभागों की लाइब्रेरी में मौजूद ज्यादातर किताबें काफी पुरानी हो चुकी हैं। कुछ किताबें नष्ट होने की कगार पर पहुंच गई है। किताबों को दीमक चाट रहे हैं।

न्यू सेशन 2016- 17 में इस काम को शूरु कर दिया जाएगा
सेंट्रल लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन बीके सिंह ने बताया कि डिजिटल लाइब्रेरी में स्कैनर और कम्प्यूटर लगवाए जाने का काम जल्द पूरा कर दिया जाएगा। इस काम को पूरा करने के लिए सर्वर भी लगवाया जाएगा। उम्मीद है कि न्यू सेशन 2016- 17 में इस काम को शूरु कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि करेंट में सेंट्रल लाइब्रेरी में सात लाख से ज्यादा बुक्स हैं। जिनमें करीब डेढ़ हजार सॉफ्ट कापी हैं। इसके अलावा तकरीबन 26 हजार ऑनलाइन जनरल हैं। लाईब्रेरी में व‌र्ल्ड के 17 इम्पार्टेट इलेक्ट्रानिक डाटाबेस हैं। वहीं एक डाटाबेस ऐसा भी है जिसमें देशभर की 80 लाख थिसिस को ऑनलाइन देखा जा सकता है। यह सुविधा कंट्री की चुनिंदा लाइब्रेरी में ही उपलब्ध है।

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