
शनिवार को मजमे से उत्साहित राजनेता और इस्लामी स्कॉलर मौलाना गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि यह भीड़ बताती है कि मुसलमान पानी के बिना तो जी सकते हैं, पर इस्लाम के बगैर नहीं। क्योंकि इस्लाम ने ही उन्हें जिंदगी गुजारने की शरियत दी है।
यह शरियत किसी सरकार, किसी पार्टी की बनाई हुई नहीं, बल्कि अल्लाह और उसके रसूल की बनाई हुई है। इसमें किसी तरह का बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। मौसम बदल सकता है, पर जब तक नबी के गुलाम जिंदा हैं, शरियत नहीं बदल सकती। इसे बदलने वाले जरूर बदल जाएंगे।
वहीँ उन्होंने लोगों से हाथ उठाकर शरियत बचाने की खातिर जेल जाने को तैयार रहने का आह्वान किया। वहीं अपील की कि हर प्रखंड में 313 सदस्यीय बदरी दस्ता बनाए जाएं। उन्होंने तकरीर के दौरान जहां हंसाया, वहीं कई बार भावुक भी हुए.
आगे उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन तलाक के मामले में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भेजा हलफनामा 30 दिनों के अंदर वापस लें, नहीं तो मुस्लिम नौजवान दिल्ली आकर प्रदर्शन करेंगे। हम डरने वाले नहीं हैं, जेलें कम पड़ जाएंगी।
मौलाना अब्दुल कादरी को अपना उस्ताद बताते हुए उनकी आंखें नम भी हुईं। भारत-पाक रिश्ते पर मौलाना बलियावी बोले, सरहद को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो सिर्फ एक बार हमारे नौजवानों की सेना में 30 फीसदी बहाली कर दो। 42 घंटे के अंदर लाहौर से इस्लामाबाद तक तिरंगा लहराता नजर आएगा।
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